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Mon, Dec 15, 2025

यूपी में मतदाता सत्यापन शुरू, AI ने पकड़े सवा करोड़ डुप्लीकेट मतदाता, अलग ग्राम पंचायतों में अलग सरनेम

Written by:Saurabh Singh
एआई सॉफ्टवेयर के माध्यम से मतदाता सूचियों की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कई मामलों में एक ही व्यक्ति का नाम अलग-अलग ग्राम पंचायतों में अलग-अलग सरनेम, उम्र या लिंग के साथ दर्ज पाया गया।
यूपी में मतदाता सत्यापन शुरू, AI ने पकड़े सवा करोड़ डुप्लीकेट मतदाता, अलग ग्राम पंचायतों में अलग सरनेम

उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले मतदाता सूचियों की सफाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का उपयोग किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप करीब सवा करोड़ डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान की गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के माध्यम से घर-घर जाकर इन चिह्नित मतदाताओं का भौतिक सत्यापन कराया जाए। अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले इन चुनावों के लिए वर्तमान में 12 करोड़ मतदाता दर्ज हैं, और अब इनमें से डुप्लीकेट नाम हटाने का अभियान शुरू हो चुका है।

एआई सॉफ्टवेयर के माध्यम से मतदाता सूचियों की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कई मामलों में एक ही व्यक्ति का नाम अलग-अलग ग्राम पंचायतों में अलग-अलग सरनेम, उम्र या लिंग के साथ दर्ज पाया गया। एआई ने मतदाता और उनके पिता के नाम में 80 प्रतिशत तक समानता वाले मामलों को चिह्नित किया है। इन चिह्नित मतदाताओं की जांच के लिए बीएलओ को मौके पर भेजा जाएगा, जो आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेजों के आधार पर सत्यापन करेंगे।

आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेजों के आधार पर सत्यापन

सत्यापन प्रक्रिया के दौरान बीएलओ न केवल आधार कार्ड की जांच करेंगे, बल्कि एक क्षेत्र के बीएलओ, सुपरवाइजर और एसडीएम दूसरे क्षेत्र के समकक्ष अधिकारियों से भी समन्वय करेंगे। फिलहाल यह अभियान ग्रामीण क्षेत्रों की मतदाता सूचियों पर केंद्रित है। नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों जगह दर्ज डुप्लीकेट नामों पर तभी कार्रवाई होगी, जब कोई शिकायत प्राप्त होगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदाता सूची में केवल वैध मतदाताओं के नाम ही रहें।

डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान और सत्यापन करे

राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दिए हैं कि डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान और सत्यापन का कार्य 29 सितंबर तक पूरा किया जाए। इस अभियान को बिहार की तर्ज पर लागू किया जा रहा है, ताकि मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित हो और पंचायत चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो सकें।