भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज हम आपको मिलाने जा रहे हैं कोको से। कोको (koko) एक मादा गुरिल्ला थी और एक खास कारण से मशहूर थी। वो इंसानों से साइन लैंग्वेज से बात करती थी। उसने अमरीकन साइन लैंग्वेज के लगभग 1000 शब्द सीख लिए थे। 1971 को जन्मी कोको को अंग्रेजी भाषा के करीब 2000 शब्द समझ में आते थे।
Redmi का पहला प्रो गेमिंग लैपटॉप इस दिन होगा लॉन्च, खास होंगे इसके फीचर्स, यहाँ जानें डिटेल्स
कोको जब एक साल की थी उस समय एनिमल साइकोलॉजिस्ट फ्रांसिने उससे मिले। कुछ ही दिनों में दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई। धीरे धीरे फ्रांसिने की सोहबत में कोको इशारों में बात करना सीखने लगी। बाद में उसने ये हुनर कुछ ऐसे सीखा कि वो अपने हाथों के जरिए 1000 से ज्यादा सांकेतिक इशारे कर सकती थी। इस साइन लैंग्वेज के जरिए वो वैज्ञानिकों के साथ बात करती थी। बात ही नहीं वो उनसे बहस भी करती थी और कभी कभी चिढ़ाती भी थी। अपने इसी कौशल के कारण 1978 में कोको की फोटो नेशनल जियोग्राफिक के मैगज़ीन कवर पेज पर भी प्रकाशित हुई।
कोको का आईक्यू लेवल बहुत अधिक था और IQ टेस्ट में उसने 90 में से 70 अंक हासिल किए। उसका दिमाग एक मनुष्य के बच्चे जैसा तेज था। तेज दिमाग के साथ उसके पास एक भावुक मन भी था। उसे इंसानों के साथ बिल्लियों से दोस्ती करना भी खूब पसंद था। उसके दोस्त फ्रांसिने ने बताया कि 12 साल की उम्र में कोको ने तोहफे में एक बिल्ली मांगी थी और जब उन्होने खिलौना बिल्ली लाकर दी तो वो नाराज हो गई। उसने इशारों से बताया कि असली बिल्ली चाहिए। इसके बाद फ्रांसिने ने उसे एक असली बिल्ली दी जिसका नाम ऑल बॉल रखा गया। बाद में कोको ने कई और बिल्लियों को पाला और वो उनके लिए बिल्कुल एक मां की तरह थी। 2018 में 46 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई। आज हम आपको एक वीडियो दिखाने जा रहे हैं जिसमें कोको साइन लैंग्वेज के जरिए पशु पक्षी, मनुष्य और प्रकृति को लेकर बात कर रही है।
https://twitter.com/historyinmemes/status/1566454998598385667?s=20&t=8dcvTCWUvYV0Ad5xw9hQWw