नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कला का कोई धर्म नहीं होता..कला का कोई वर्ग भी नहीं होता है। ये अमीर गरीब हिंदू मुसलमान नहीं देखती। हमने कई बार सड़कों पर कुछ लोगों को गाना गाते हैं या कोई वाद्य यंत्र बजाते देखा हैं। लोग उन्हें इसकी एवज़ में कुछ पैसे देते हैं। लेकिन इसे भीख मांगना नहीं कहना चाहिए। ऐसे किसी भी शख्स को भिखारी कहना उसका ही नहीं कला का भी अपमान है। कुछ लोग कमाल के कलाकार होते हैं लेकिन किस्मत उनका साथ नहीं देती। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बिना किसी पैसे या फेवर की चाह के, बस लोगों के दिल को छूना चाहते हैं। ऐसा ही एक वीडियो हम आपको दिखाने जा रहे हैं।
अविनाश शरण के ट्वीटर अकाउंट से ये वीडियो शेयर किया गया है। इसमें हम देख रहे हैं कि दिल्ली के कनॉट प्लेस पर सड़क किनारे एक व्यक्ति बहुत ही सादा लिबास में बैठा है और उसके हाथ में बांसुरी है। पास ही दो बांसुरी और रखी और सबसे खास है एक पोस्टर जो उसने अपने पास लगा रखा है। इसपर अंग्रेजी में लिखा है ‘मैं भिखारी नहीं हूं..मैं बस संगीत के जरिये आपकी रूह को छूना चाहता हूं।’ ये शख्स बांसुरी पर ‘अजीब दास्तां है ये’ गीत की धुन बजा रहा है और अपने आप में मगन है। लेकिन इनकी बांसुरी ऐसी है कि आप भी सुनकर मगन हो जाएंगे। इसके बांसुरी वादन और वहां लिखे मैसेज से साफ जाहिर होता है कि ये कोई सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि एक पहुंचा हुआ कलाकार है और अपनी कला के जरिए दुनिया में शांति और मोहब्बत का पैगाम पहुंचाना चाहता है।
Believe me, He is a great Artist. Connaught Place, Delhi.❤️ pic.twitter.com/bq9i9fam72
— Awanish Sharan 🇮🇳 (@AwanishSharan) July 14, 2022