भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा है, तकनीकी विकास होता जा रहा है। आज हमारे पास एक से एक आधुनिक मशीनें और सिस्टम हैं जिससे बड़े से बड़ा काम आसानी से हो जाता है। लेकिन यही काम आज से पचास या सौ साल पहले काफी मेहनत और समय लेता था। आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि 1950 में ग्लोब (Globe) कैसे बनाया जाता था।
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धरती के गोलाकार मॉडल को ग्लोब कहते हैं। इसका आविष्कार साल 1492 में हुआ था। इसपर हर देश का नक्शा बना होता है। ये एक गोल गेंद के समान होता है और इसके चारों तरफ देशों नक्शे और समुद्र बने होते हैं। ये अपने अक्ष से थोड़ा सा झुका भी होता है और इसकी वजह ये है कि हमारी पृथ्वी भी अपने अक्ष पर थोड़ी झुकी हुई है। इसे रोटेट किया जा सकता है और घुमाकर किसी भी देश का मानचित्र देखा जा सकता है। आज तो हमारे पास गूगल मैप की सुविधा है, लेकिन कुछ समय पहले तक इसे हम हर शैक्षणिक स्थल और अन्य स्थानों पर देख सकते थे।
आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि 1950 में ग्लोब कैसे बनाया जाता था। उस समय ये पूरी तरह हैंड मेड था। हम देखते हैं कि एक तरफ बड़ी बड़ी गेंदनुमा वस्तु रखी है। उसपर पेंट किया जाता है, कागज़ चिपकाए जाते हैं। इसे चिकना बनाया जाता है और फिर इसपर नक्शे चिपकाए जाते हैं। इस काम को बहुत ही ध्यान से किया जाता है क्योंकि जरा भी गड़बड़ हुई तो दुनिया का चित्र ही बदल जाएगा। इसे अंतिम रुप देने तक कई हाथ मेहनत करते हैं और अंतत: ग्लोब तैयार होता है। ये बहुत ही रोचक वीडियो है जिसे देखकर हमें पता चलता है कि जब मशीनरी बहुत विकसित नहीं थी तो किस तरह ऐसे कामों को अंजाम दिया जाता था।
This is how handmade globes were made in the 1950spic.twitter.com/LgrrKsmOm4
— Vala Afshar (@ValaAfshar) August 16, 2022