Video : आज से 70 साल पहले ऐसे बनाया जाता था Globe

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा है, तकनीकी विकास होता जा रहा है। आज हमारे पास एक से एक आधुनिक मशीनें और सिस्टम हैं जिससे बड़े से बड़ा काम आसानी से हो जाता है। लेकिन यही काम आज से पचास या सौ साल पहले काफी मेहनत और समय लेता था। आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि 1950 में ग्लोब (Globe) कैसे बनाया जाता था।

इमरान ताहिर ने द हंड्रेड में ट्रेडमार्क स्प्रिंट और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के ‘सिउ’ के साथ बनाया विकेट का जश्न, देखें वीडियो

धरती के गोलाकार मॉडल को ग्लोब कहते हैं। इसका आविष्‍कार साल 1492 में हुआ था। इसपर हर देश का नक्शा बना होता है। ये एक गोल गेंद के समान होता है और इसके चारों तरफ देशों नक्‍शे और समुद्र बने होते हैं। ये अपने अक्ष से थोड़ा सा झुका भी होता है और इसकी वजह ये है कि हमारी पृथ्‍वी भी अपने अक्ष पर थोड़ी झुकी हुई है। इसे रोटेट किया जा सकता है और  घुमाकर किसी भी देश का मानचित्र देखा जा सकता है। आज तो हमारे पास गूगल मैप की सुविधा है, लेकिन कुछ समय पहले तक इसे हम हर शैक्षणिक स्थल और अन्य स्थानों पर देख सकते थे।

आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि 1950 में ग्लोब कैसे बनाया जाता था। उस समय ये पूरी तरह हैंड मेड था। हम देखते हैं कि एक तरफ बड़ी बड़ी गेंदनुमा वस्तु रखी है। उसपर पेंट किया जाता है, कागज़ चिपकाए जाते हैं। इसे चिकना बनाया जाता है और फिर इसपर नक्शे चिपकाए जाते हैं। इस काम को बहुत ही ध्यान से किया जाता है क्योंकि जरा भी गड़बड़ हुई तो दुनिया का चित्र ही बदल जाएगा। इसे अंतिम रुप देने तक कई हाथ मेहनत करते हैं और अंतत: ग्लोब तैयार होता है। ये बहुत ही रोचक वीडियो है जिसे देखकर हमें पता चलता है कि जब मशीनरी बहुत विकसित नहीं थी तो किस तरह ऐसे कामों को अंजाम दिया जाता था।


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News