Video : आखिर क्या है जीवन की इस दौड़ का लक्ष्य, सुख और साधन में है बड़ा अंतर

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कहते हैं जो बात हजार शब्द नहीं कह पाते, वो एक तस्वीर कह देती है। और अगर वो एक वीडियो हो तो कुछ पलों में ही जीवन का सारा अर्थ, अनर्थ और सार हमारे सामने आ सकता है। इस आपाधापी वाले समय में हमारी जिंदगी जैसे एक दौड़ में तब्दील हो गई है। हम बस किसी अनदेखी गलाकाट प्रतिस्पर्धा में भागे जा रहे हैं और हमें नहीं पता कि ये कहां जाकर थमेगी। ये दौड़ अब बचपन से ही शुरु है। बच्चे का अबोधपन जाते जाते उसे हजार तरह की चीज़ों में लगा दिया जाता है। पढ़ाई के साथ तमाम अलग अलग क्लासेस, अच्छे नंबर लाने का दबाव, स्वीमिंग, हॉर्स राइडिंग, म्यूजिक सीखने का दबाव। और ये दबाव उम्र के साथ साथ बढ़ता जाता है।

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हम आखिर कहां जाने के लिए दौड़ रहे हैं। ये सारी वस्तुएं क्या वास्तव में हमें खुशी दे पा रही हैं। सुविधा और सुख में बहुत अंतर होता है। तमाम सुविधाएं जुटा लेने के बाद भी अगर हम सुखी नहीं हैं तो फिर आखिर क्यों भाग रहे हैं। जब नजरों के सामने से कोई ऐसी चीज गुजरती है तो ये सारे सवाल मुंह उठाकर खड़े हो जाते हैं। हम कई बार ये सारी बातें समझते भी हैं, लेकिन हमें उन्हें याद करने के लिए किसी बाहरी फोर्स की जरुरत भी पड़ती है। हमारे पास समय ही नहीं होता कि जो हमारे अप्रत्यक्ष मन में है, उसे सुनें और गुने।

वीकेंड शुरु हो चुका है और ये समय तमाम मौज मस्ती के साथ अपने जीवन पर एक नजर डालने का भी है। हम एक छोटा सा वीडियो आपके साथ शेयर कर रहे हैं जो हमारी मदद करेगा ये सोचने में कि आखिर हमारा लक्ष्य क्या है। इस एनिमेटेड वीडियो में एक शख्स भाग रहा है.. सुविधा, पैसे, उपभोग के पीछे। वो बस भागता जा रहा है और इन चीजों का आनंद भी नहीं ले पा रहा। फिर वो वक्त आ जाता है जब कुछ भी करने का मौका नहीं रह जाता और हम दुनिया को अलविदा कह रहे होते हैं। इस एनिमेशन में बहुत बड़ी सीख है..हम काम करें, सुविधाएं भी जुटाएं लेकिन अपनी मानसिक शांति और स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान दें। यदि हम भीतर से प्रसन्न महसूस नहीं करेंगे तो कोई बाहरी वस्तु हमें सुख नहीं दे पाएगी। ये वीडियो देखिये और एक बार सोचिए कि आखिर ये दौड़ किसलिए हैं। बेहतरी के लिए शायद अगले सोमवार से हम अपने तौर तरीकों में कुछ बदलाव ला सकें।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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