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जानवर तो घास खा लेते हैं लेकिन इंसान नहीं फिर हमारे पूर्वज ये सब यहां तक कि कीड़े मकोड़े भी कैसे खा पाते थे
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जानवरों की तरह मनुष्य घास नहीं खा पाता क्योंकि उसका पाचन तंत्र और दांत घास तोड़ने और पचाने के लिए बने ही नहीं हैं।
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लाखों साल पहले शुरुआती मानव घास, कीड़े और फल तक आराम से खा लेते थे क्योंकि उस समय उनके दांत और पाचन तंत्र मजबूत और अलग तरह के थे।
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अगर आज कल के इंसान घास खाए तो इससे दांत खराब, पेट खराब, दस्त और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं, साथ ही malnutritionभी बढ़ सकता है।
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घास में लिग्निन और सेल्युलोज जैसे एलमन्ट होते हैं जिन्हें इंसान का पेट नहीं तोड़ पाता। इसलिए घास से कोई नूट्रीअन्ट नहीं मिलता।
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गाय, बकरी और भेड़ जैसे जानवरों के पास चार चैंबर वाला पेट और जुगाली करने की पावर होती है, जिसकी वजह से वे घास को आराम से पचा लेते हैं।
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जब इंसानों ने शिकार और खेती शुरू की, तो उनका खानपान बदल गया। धीरे-धीरे उनके दांत और पेट घास खाने के लायक नहीं रहे।
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ज्यादातर घास विषैली नहीं होती, लेकिन उसका नूट्रीअन्ट वैल्यू बहुत कम है। यानी इंसान चाहे तो खा सकता है, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होगा।
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इतिहास में कहा जाता है कि कठिन समय में राणा प्रताप ने घास की रोटियां खाई थीं, लेकिन यह मजबूरी थी, न कि डेली खाने का हिस्सा।
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