कहीं आप तो नहीं करते बच्चे को खाना खिलाते वक्त यह गलती! पैरेंट्स ऐसे सुधारें नन्हे की खाने की आदत
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बच्चों की खाने की आदतें माता-पिता पर निर्भर करती हैं। जो बच्चे पिज्जा, बर्गर और चॉकलेट के शौकीन होते हैं, वे ये आदतें अपने पैरेंट्स से सीखते हैं। बचपन से ही हेल्दी खाने की आदत डालना जरूरी है ताकि उनकी इम्यूनिटी और स्वास्थ्य बेहतर रहे।
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नवजात शिशु के लिए मां का दूध सबसे अच्छा पोषण है। डिलीवरी के बाद शुरुआती छह महीने तक ब्रेस्टफीडिंग बेहद जरूरी है। यह बच्चे को दिल की बीमारियों और डायबिटीज से बचाता है। फॉर्मूला मिल्क को शुरुआती दिनों में न देना बेहतर है।
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बच्चे अपने परिवार को देखकर सीखते हैं। खाने के समय पूरे परिवार का एकसाथ बैठकर खाना बच्चे के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होती है, बल्कि उनका वजन नियंत्रित रहता है और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है।
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खाना खिलाते वक्त बच्चे को मोबाइल या टीवी देने से उसकी भूख की प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित होती है। इससे वह ओवरईटिंग कर सकता है। बच्चों को खाना खाते समय केवल खाने पर ध्यान केंद्रित करने की आदत डालें।
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बच्चों को माइंडफुल ईटिंग का महत्व समझाएं, यानी सोच-समझकर हेल्दी खाना चुनना। उन्हें पैक्ड फूड के बजाय ताजे फल, सब्जी या घर का बना खाना चुनने के लिए प्रेरित करें। यह आदत उन्हें शारीरिक और भावनात्मक रूप से संतुलित रखेगी।
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बच्चों के लिए नाश्ता, लंच और डिनर का एक समय निर्धारित करें। नियमित समय पर खाने से उनका रूटीन बनता है और वे अनहेल्दी स्नैक्स से बचते हैं। इससे उनकी भूख और पेट भरने की समझ भी विकसित होती है।
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बच्चों को चॉकलेट, कैंडी और कोल्ड ड्रिंक्स देने से बचें। यह न केवल दांतों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मोटापा और हाइपरएक्टिविटी का कारण बनता है। मीठे की जगह गुड़ या फल देने की आदत डालें।
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बच्चों से अच्छे नंबर लाने या अच्छा व्यवहार करने के बदले चॉकलेट या जंक फूड का वादा न करें। इसकी जगह उन्हें खेल, किताबें, या उनकी पसंद की हेल्दी एक्टिविटी का विकल्प दें। खाने के सीमित और हेल्दी विकल्प देकर उनकी आदत सुधारें।
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