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Explainer: लद्दाख में क्यों दिखी ध्रुवीय हरी-लाल रोशनी, जिसे कहते हैं ऑरोरा, क्या है खतरा?

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हाल ही में लद्दाख के लेह में आसमान में ऑरोरा जैसा नजारा दिखाई दिया। आमतौर पर यह पोलर एरिया में देखा जाता है, लेकिन लद्दाख में यह पहली बार देखा गया है।

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 ऑरोरा तब बनता है जब सूर्य से आने वाली आवेशित ऊर्जा पृथ्वी के वायुमंडल से टकराती है। इससे आसमान में हरा, लाल, नीला आदि रंग दिखाई देते हैं, जो एक अद्भुत दृश्य पैदा करते हैं।

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सूर्य की सतह पर चुम्बकीय गतिविधियों के कारण जब आवेशित कण बाहर निकलते हैं, तो इसे "कोरोनल मास इजेक्शन (CME)" कहा जाता है। ये कण जब पृथ्वी के ध्रुवीय वायुमंडल से टकराते हैं, तो ऑरोरा बनता है।

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 भारत में हिमालयी एरिया, विशेष रूप से लद्दाख, ऊंचाई और लटिटूडिनल स्थिति के कारण ऑरोरा दिखने के लिए सूटेबल हो सकता है। इससे यह असंभव नहीं है कि भविष्य में भी लद्दाख में ऑरोरा देखा जाए।

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 भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार, लद्दाख में ऑरोरा दिखने की वजह सूर्य की बढ़ी हुई सौर गतिविधियों और सौर तूफानों की इन्टेन्सिटी है। इससे स्पष्ट होता है कि इस बार सूर्य की ऊर्जा और हवा ज्यादा इन्टेन्स थीं।

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ऑरोरा बोरियालिस उत्तरी पोलर क्षेत्र में देखा जाता है, जबकि ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस दक्षिणी पोलर के पास। अब सूर्य की इन्टेन्स घटनाओं के कारण अमेरिका, जर्मनी और भारत जैसे स्थानों में भी इसे देखा जाने लगा है।

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 सामान्यत: ऑरोरा से कोई सीधा खतरा नहीं होता, लेकिन जब सौर तूफानों की इन्टेन्सिटी बहुत ज्यादा होती है, तो यह कम्यूनिकेशन सिस्टम और इलेक्ट्रिकल ग्रिड पर असर डाल सकता है।

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