पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती की कृपा से जब श्री गणेश जी की उत्पत्ति हुई थी, तब उस समय भगवान शिव के धाम कैलाश में बुध देव उपस्थित थे।
बुध देव की उपस्थिति के कारण श्रीगणेश जी की आराधना के लिए वह प्रतिनिधि वार हुए यानी बुधवार के दिन गणेश जी पूजा का विधान बन गया
बुधवार को सौम्यवार भी कहा जाता है। बुधवार के दिन को श्री गणेश का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
जिन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है, उन्हें बुधवार के दिन गणेश भगवान की पूजा करनी चाहिए।
बुधवार को जब गणेश जी की पूजा करें तो उन्हें दूर्वा जरूर अर्पित करें। दूर्वा से वे शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं।
बुधवार को गणेश जी की पूजा के साथ ऋद्धि-सिद्धि व लाभ-क्षेम की पूजा भी विशेष मंत्रोच्चारण के साथ करना शुभ माना जाता है।
गणेश जी को सिंदूर अर्पित करते समय इस मंत्र को बोले सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्, शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्..