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कभी-कभी बच्चों की भलाई के लिए आपको पेरेंटिंग के ये 9 नियम तोड़ने ही पड़ सकते हैं, जैसे वीकेंड पर उन्हें देर रात तक जागने देना!

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हमेशा उन्हें अकेले सोने की आदत डालना सही होता है, लेकिन जब वे डरे या असुरक्षित महसूस करें, तो माता-पिता के पास सुलाने में कोई बुराई नहीं है। यह उनके मानसिक शांति और सुरक्षा की भावना को बढ़ाता है।

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बच्चों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने की आज़ादी होनी चाहिए। कभी-कभी अगर वे गुस्से या जोर से बोलकर अपनी बात कह रहे हों, तो उन्हें रोकने की बजाय समझने की कोशिश करें।

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बच्चों को जबरदस्ती खाना खिलाने की बजाय उन्हें उनकी भूख के अनुसार खाने देना बेहतर है। इससे वे अपने शरीर की जरूरतों को समझ पाते हैं और खाने को लेकर स्वस्थ आदतें विकसित कर सकते हैं।

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स्क्रीन-टाइम पूरी तरह से बैन्ड करने की बजाय, इसे लिमिटेड और कंट्रोल  तरीके से देने से बच्चे सही संतुलन बना सकते हैं।

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सप्ताह के दिनों में एक निश्चित समय पर सोना जरूरी है, लेकिन वीकेंड्स पर थोड़ी छूट देने से वे मानसिक रूप से तरोताजा महसूस कर सकते हैं।

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बच्चों को छोटी-छोटी चीजों के फैसले खुद लेने देना चाहिए, ताकि उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास विकसित हो सके।

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यदि बच्चा किसी को गले लगाने में असहज महसूस करता है, तो उसे मजबूर न करें। यह उसे अपनी सीमाएं तय करने और खुद के प्रति सम्मान विकसित करने में मदद करेगा।

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 माता-पिता का साथ जरूरी है, लेकिन बच्चों को कभी-कभी अकेले रहने का अवसर देना भी महत्वपूर्ण है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी इन्टरिस्ट को पहचान सकें।

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