तब कैलेंडर से क्यों गायब कर दिए गए 11 दिन, हैरान रह गए थे लोग, क्या था माजरा
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वर्तमान में इस्तेमाल होने वाला ग्रिगोरियन कैलेंडर, 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने लागू किया था। यह जूलियन कैलेंडर के स्थान पर लाया गया, जो सौर वर्ष से मेल नहीं खा रहा था।
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1582 में जूलियन कैलेंडर की 4 अक्टूबर की तारीख के बाद, ग्रिगोरियन कैलेंडर ने इसे 15 अक्टूबर घोषित कर दिया। यह अंतर सौर वर्ष के साथ तालमेल बिठाने के लिए किया गया।
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जूलियन कैलेंडर में साल को 365.25 दिन लंबा माना गया था। जबकि असल सौर वर्ष 365.24219 दिन का होता है। इस छोटी सी गलती ने 15 शताब्दियों के बाद 11 दिनों का बड़ा अंतर पैदा कर दिया।
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16वीं शताब्दी के बाद यूरोपीय देशों ने इस कैलेंडर को अपनाना शुरू किया। कालांतर में उपनिवेशवाद के जरिए इसे एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में भी लागू कर दिया गया।
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भारत में ग्रिगोरियन कैलेंडर ब्रिटिश शासन के दौरान 1752 में लागू हुआ। तब से सभी आधिकारिक कामकाज इसी कैलेंडर पर आधारित हैं। आजादी के समय हिंदू विक्रम संवत पर भी विचार हुआ, लेकिन सरकारी उपयोग के लिए ग्रिगोरियन कैलेंडर ही रखा गया।
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जब 11 दिन कैलेंडर से "गायब" हुए, तो लोग हैरान और भ्रमित रह गए। उस समय यह बदलाव लोगों के लिए असामान्य और अविश्वसनीय लग रहा था।
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20वीं सदी तक, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय संपर्क बढ़ने के कारण अधिकांश देशों ने ग्रिगोरियन कैलेंडर को स्वीकार कर लिया। यह संगठन, समय सिस्टम के रूप में कार्य करता है।
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ग्रिगोरियन कैलेंडर में असमान महीनों की लंबाई, लीप वर्ष की जटिलता और "शून्य वर्ष" का अभाव जैसी खामियां हैं। वैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहुँच से स्थिर कैलेंडर या सौर आधारित सिस्टम अपनाने का सुझाव दिया जाता है।
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