कभी मजदूरी करने वाला ये एक्टर एक हफ्ते में अमीर बना लेकिन आखिरी सांस चॉल में ली
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भगवान दादा ने जीवन की शुरुआत एक मिल मजदूर के रूप में की थी, लेकिन उनके एक्टिंग के जुनून ने उन्हें बॉलीवुड का पहला एक्शन और डांसिंग स्टार बना दिया। यह सफलता किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी।
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कम बजट की फिल्मों से मिली अपार सफलता के बाद भगवान दादा ने मुंबई में 25 कमरे वाला आलीशान बंगला और 7 महंगी गाड़ियां खरीदीं। वह हर दिन अलग-अलग कारों से सफर करते थे।
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भगवान दादा को ‘शोला जो भड़के’ और ‘ओ बेटा जी, ओ बाबू जी’ जैसे सुपरहिट गानों के जरिए देशभर में पहचान मिली। उनकी डांसिंग स्टाइल ने लाखों दिलों को जीता।
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भगवान दादा ने फिल्म ‘हंसते रहना’ को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट माना और किशोर कुमार को लीड रोल में लिया, लेकिन एक्टर की ज़्यादा डिमांड और नखरों ने फिल्म को अधूरा छोड़ दिया।
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ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप होने के बाद भगवान दादा को अपने सारे ऐशो-आराम बेचने पड़े और वे दोबारा एक छोटे से चॉल में रहने को मजबूर हो गए। उनका अंत भी उसी चॉल में हुआ।
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भगवान दादा ने अपने करियर में 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और डायरेक्शन व प्रोडक्शन में भी नाम कमाया। वो मल्टीटैलेंटेड कलाकारों में गिने जाते हैं।
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1940 के दशक में भगवान दादा को हिंदी सिनेमा के सबसे अमीर ऐक्टर का दर्जा मिला। वो शोहरत, पैसा और नाम हर चीज़ के मालिक थे – लेकिन किस्मत ने पलटी मार दी।
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भगवान दादा की कहानी हमें बॉलीवुड के चमकते सितारों के पीछे छिपे संघर्ष की याद दिलाती है। उनकी ज़िंदगी एक सबक है कि शोहरत और दौलत हमेशा कायम नहीं रहती।
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