यह है भारत का पहला शहर जहां 140 साल पहले नल से घरों तक पानी पहुंचा लेकिन ब्राह्मणों ने इसे अपवित्र कहा दिलचस्प किस्सा
mpbreakingnews
भारत में 140 साल पहले पुणे वह पहला शहर बना, जहां पाइपलाइन और नलों के जरिए घरों तक साफ पानी पहुंचाया गया। यह उस दौर के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था और लोगों को कुएं-तालाबों से पानी भरने की परेशानी से छुटकारा मिला।
mpbreakingnews
1817 में जब पुणे पर ब्रिटिश शासन हुआ तो यहां कैंटोनमेंट एरिया बना। हजारों सैनिकों और परिवारों को शुद्ध पानी चाहिए था, लेकिन कुओं और तालाबों पर निर्भर रहना मुश्किल था। इसी वजह से ब्रिटिश इंजीनियरों ने पाइपलाइन प्रोजेक्ट की शुरुआत की।
mpbreakingnews
1873 में मुठा नदी पर बांध बनाने का काम शुरू हुआ और 1879 में खडकवासला डैम तैयार हुआ। लगभग 50 लाख रुपये की लागत से बना यह डैम उस समय इंजीनियरिंग का अजूबा माना गया।
mpbreakingnews
डैम से पुणे शहर तक पानी लाने के लिए 20 किलोमीटर लंबी ग्रेविटी-बेस्ड पाइपलाइन बिछाई गई। इसके लिए इंग्लैंड से भारी लोहे की पाइपें मंगाई गईं और बैलगाड़ियों से पुणे तक लाई गईं।
mpbreakingnews
ऊबड़-खाबड़ और चट्टानी इलाके में पाइप बिछाना बेहद मुश्किल था। मजदूरों को गर्मी, बीमारियों और कठिन काम का सामना करना पड़ा। कई मजदूरों की मौत भी हुई, लेकिन आखिरकार 1880 के दशक की शुरुआत तक प्रोजेक्ट पूरा हो गया।
mpbreakingnews
जब पहली बार पुणे के घरों और सार्वजनिक नलों से पानी आया तो शहर में उत्साह फैल गया। लेकिन कुछ ब्राह्मण परिवारों और परंपरावादियों ने इसे "अपवित्र पानी" मानकर विरोध भी किया। धीरे-धीरे यह विरोध खत्म हो गया।
mpbreakingnews
1886 तक घरों तक नलों से पानी पहुंचने लगा। इससे हैज़ा और टाइफॉयड जैसी बीमारियां कम हुईं। महिलाओं को कुओं से पानी भरने की मेहनत से राहत मिली। नल का पानी पुणे की आधुनिकता और गर्व का प्रतीक बन गया।
mpbreakingnews
पुणे की सफलता के बाद मुंबई, मद्रास और कलकत्ता में भी पाइपलाइन प्रोजेक्ट शुरू हुए। इसे “भारत की आधुनिकता की ओर पहला कदम” कहा गया और यही जल आपूर्ति प्रणाली आज भी हमारे शहरों की नींव है।
अंग्रेजों ने खरीदी ज़मीन की छोटी सी जगह जो बनी मद्रास और फिर यहीं से फैल गया उनका साम्राज्य पूरे देश में