कहा जाता है की जब अंग्रेजो ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तब ब्रिटिश छावनी की जिम्मेदारी कर्नल मार्टिन पर थी। उन्हें अपनी पत्नी को मालवा में ही छोड़ना पड़ा।
उन्होंने ने मंदिर से जीर्णोद्धार की मन्नत के साथ प्रक्रिया शुरू की। समापन के दिन उन्हें कर्नल मार्टिन का खत मिला, जिसमें उन्होंने जीत की खुशी दी।