यह पेड़ केवल तीन महीने तक देता है चमत्कारी गोंद, जो कई बीमारियों का अंत कर सकता है और कमजोर शरीर के लिए किसी वरदान से कम नहीं! जानिए इसके जबरदस्त फायदे
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बबूल का गोंद साल भर नहीं, बल्कि सिर्फ दो से तीन महीने (वसंत से पहले) ही पेड़ से निकलता है, जिसे उस समय इकट्ठा कर स्टोर किया जाता है।
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यह गोंद पेट की समस्याओं जैसे अल्सर, दस्त और एसिडिटी में राहत देता है और आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देने वाला प्रीबायोटिक का काम करता है।
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बबूल गोंद ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक होता है और इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द व गठिया जैसी समस्याओं में आराम दिलाते हैं।
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यह गोंद त्वचा की जलन को शांत करने और घाव भरने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह एक जबरदस्त नैच्रल उपचार बन जाता है।
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यह मसूड़ों को मजबूत करता है और प्राचीन काल से दांतों के डॉक्टर के लिए उपयोग होता आया है, जिससे यह आज भी काफी लोकप्रिय है।
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बबूल गोंद का उपयोग आइसक्रीम, चॉकलेट और मिठाइयों में गाढ़ापन बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे इन प्रोडक्टस की बनावट बेहतर होती है।
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इसका उपयोग टैबलेट और कैप्सूल को बांधने के लिए बाइंडर के रूप में किया जाता है, साथ ही इसे कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी शामिल किया जाता है।
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बाजार में बबूल गोंद अलग-अलग क्वालिटी में मिलते है, और इसकी कीमत 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक होती है।
साल में सिर्फ दो महीने मिलने वाली यह मिर्च जोड़ों के दर्द के लिए संजीवनी है, साथ ही कैंसर, डायबिटीज और फैटी लीवर जैसी बीमारियों के इलाज में भी फायदेमंद