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नागमणि क्या है क्या वाकई सांप ऐसी मणि छोड़ता है जैसे बिहार के मुजफ्फरपुर स्कूल में मिला दावा किया गया

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नागमणि एक रहस्यमयी मणि मानी जाती है, जिसका उल्लेख भारतीय लोककथाओं और पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि ये मणि सांपों के सिर पर होती है और इसमें चमत्कारी शक्तियां होती हैं। लेकिन वैज्ञानिक के नजरिए से नागमणि का कोई अस्तित्व नहीं है।

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हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज स्कूल में एक विषैले सांप के पीछे से क्रिस्टल जैसी वस्तु मिली, जिसे लोग नागमणि समझ बैठे। इसने स्थानीय लोगों के बीच खलबली मचा दी और यह चर्चा का विषय बन गया।

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वैज्ञानिकों के अनुसार, सांपों के शरीर में ऐसा कोई तंत्र नहीं होता जिससे वे कोई रत्न उत्पन्न कर सकें। सांपों द्वारा छोड़े गए चमकदार पदार्थ आमतौर पर उनकी पुरानी त्वचा के टुकड़े या यूरिक एसिड के फॉससील होते हैं, जिन्हें गलती से मणि मान लिया जाता है।

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कई बार ठग कांच या प्लास्टिक के टुकड़ों को सांप के सिर पर चिपका देते हैं और उसे नागमणि बताकर लाखों रुपये वसूलते हैं। 2018 में मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति से 2 करोड़ रुपये की ठगी इसी तरह की गई थी।

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सांप समय-समय पर अपनी केंचुली उतारते हैं, जिसमें उनके शरीर की पुरानी त्वचा निकलती है। यह त्वचा अक्सर चमकदार और ट्रैन्स्पैरन्ट होती है, जो रोशनी में कांच जैसी दिखाई देती है। ये ही टुकड़े लोगों को नागमणि जैसे प्रतीत होते हैं।

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IIT-BHU जैसे reputed institutions ने अलेज्ड नागमणियों की जांच की है और पाया कि वे साधारण पत्थर, कैल्शियम कार्बोनेट या प्लास्टिक के टुकड़े हैं। आज तक नागमणि जैसी किसी भी वस्तु का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है।

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भारतीय समाज में यह मान्यता है कि नागमणि चमत्कारिक होती है – इससे अमरता, धन या शक्ति प्राप्त की जा सकती है। जबकि सच्चाई यह है कि ये सब लोककथाओं और धार्मिक विश्वासों पर आधारित हैं, जिनका विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है।

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सांपों के शरीर की बनावट में ऐसा कोई ऑर्गैनिक सिस्टम नहीं होता जो हीरा, मोती या कोई रत्न बना सके। उनकी त्वचा में पाए जाने वाले प्रोटीन "केराटिन" से बना हुआ चमकदार हिस्सा, सिर्फ भ्रम पैदा करता है – नागमणि का नहीं।

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