सेनाएं चूहों की भर्ती क्यों कर रही हैं? भारतीय फौज मधुमक्खियों से कौन सा खास काम लेती है?
mpbreakingnews
कंबोडिया, यूक्रेन, बेल्जियम और इज़राइल जैसे कई देशों की सेनाएं विशेष अफ्रीकी चूहों को सैन्य कार्यों में इस्तेमाल कर रही हैं। ये चूहे बकायदा ट्रेंड होते हैं और विस्फोटक या बारूदी सुरंगों का पता लगाने में विशेषज्ञ होते हैं।
mpbreakingnews
ये चूहे आकार में बड़े होते हैं, हल्के वजन के कारण बारूदी सुरंगों पर चलते समय विस्फोट नहीं करते। वे TNT जैसे केमिकल की 0.01% क्वानटिटी भी सूंघ सकते हैं और प्लास्टिक माइन्स भी पहचान सकते हैं।
mpbreakingnews
ये ट्रैन्ड चूहे एक टेनिस कोर्ट जितना एरिया सिर्फ 30 मिनट में स्कैन कर लेते हैं, जबकि इंसान को यही काम करने में कई दिन लग सकते हैं। इनकी बुद्धिमत्ता और गंध पहचानने की क्षमता इन्हें इस कार्य के लिए आदर्श बनाती है।
mpbreakingnews
इज़राइली सिक्युरिटी एजेंसियां चूहों को हवाई अड्डों पर सामान में छुपे विस्फोटक सूंघने के लिए ट्रेन करती हैं। ये ट्रडिशनल मशीनों के मुकाबले अधिक सेन्सिटिव और कारगर साबित हुए हैं।
mpbreakingnews
कंबोडिया, मोज़ाम्बिक और अंगोला जैसे देशों में आज भी बारूदी सुरंगें मौजूद हैं। वहाँ ये चूहे हजारों जानें बचाने में अहम किरदार निभा रहे हैं।
mpbreakingnews
भारत-बांग्लादेश सीमा पर BSF ने मधुमक्खियों का इस्तेमाल शुरू किया है। मधुमक्खियों से भरे छत्तों को सीमा की बाड़ पर टांगा जाता है, जिससे घुसपैठिए डरकर भाग जाते हैं। जवानों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
mpbreakingnews
अमेरिका और NATO देशों की नौसेनाएं डॉल्फ़िन और सील जैसे समुद्री जानवरों को पानी के नीचे माइन्स खोजने और जासूसी जैसे कार्यों के लिए ट्रेन करती हैं। रूस भी डॉल्फिन का जासूसी में प्रयोग कर चुका है।
mpbreakingnews
चूहे कुत्तों की तुलना में सस्ते और टिकाऊ होते हैं। इन्हें कम लागत में ट्रेनिंग दी जा सकती है और ये कई सालों तक सेवा दे सकते हैं। प्रॉब्लेम वाले जैसे एरिया में भी इनका उपयोग हो रहा है, जैसे मलबे में फंसे लोगों का पता लगाना।
“मरा हुआ सांप भी बन सकता है मौत का कारण? अगर भूल से भी रख दिया कदम इस जगह पर, तो समझिए आफत टालना मुश्किल!”