बिना मास्क घूमना युवाओं को पड़ा महंगा, खुली जेल भेजा, निबंध लिखाया 

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना संक्रमण काल (Corona Infection) में बिना मास्क (Mask) लगाए बाजारों में घूमना युवाओं को महंगा पड़  गया। उन्हें सजा के तौर पर खुली जेल (Open Jail) में चार घंटे रहना पड़ा और कोरोना विषय पर लिखना पड़ा निबंध। युवाओं को नुक्क्ड़ नाटक के माध्यम से भी कोविड-19 के नुकसान और उससे बचने के लिये आवश्यक सावधानियों को भी समझाया गया।
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Collector Kaushalendra Vikram Singh) की पहल पर कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के साथ-साथ लोगों में संक्रमण की रोकथाम हेतु जागृति के लिये रूपसिंह स्टेयिम को खुली जेल बनाया गया और शहर में बिना मास्क घूम रहे युवाओं को खुली जेल पहुंचाया गया। शहर के विभिन्न चौराहों एवं मार्गों पर बिना मास्क के घूम रहे युवाओं को पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने रोका और गाडी में बिठाकर खुली जेल पहुंचाया। अस्थायी तौर पर बनाई गई खुली जेल में युवाओं को बिठाकर कोरोना विषय पर निबंध लिखाया गया।
वहीं सामाजिक न्याय विभाग के कलापथक दल द्वारा युवाओं को नुक्कड़ नाटक एवं गीतों के माध्यम से भी कोरोना रोग की भयावहता और उससे बचाव के लिये सावधानियां कितनी जरूरी हैं बताया गया। इसके साथ ही काल्पनिक यमराज बनकर भी कोरोना की भयावहता समझाई गई। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने रोको-टोको अभियान के तहत खुली जेल के माध्यम से लोगों को सावधानी का संदेश दिया। रोको-टोको अभियान के तहत जहाँ लोगों को मास्क पहनने की आवश्यकता बताई जा रही है वहीं अनावश्यक रूप से घर से निकलने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की भी समझाइश दी जा रही है। उन्होंने शहरवासियों से अपील की है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए आवश्यक सावधानी स्वयं भी बरतें और लोगों को भी सावधानी बरतने हेतु प्रेरित करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि खुली जेल की कार्रवाई नियमित जारी रहेगी। बाजारों में बिना मास्क घूमता कोई भी व्यक्ति पाया गया तो जुर्माना करने के साथ-साथ खुली जेल में भी उसे भेजा जायेगा।

रूपसिंह स्टेडियम में बनाई गई खुली जेल में एडीएम किशोर कान्याल और संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय राजीव सिंह ने युवाओं से चर्चा की और उन्हें कोरोना की भयावहता को समझने और आवश्यक सावधानी बरतने की अपील भी की। लगभग 15 युवकों को खुली जेल में रखकर कारोना पर निबंध लिखवाया गया। 20 वर्ष से 45 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोगों को ही खुली जेल में लाया गया। महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार लोगों को आवश्यक चेतावनी एवं समझाइश देकर मास्क अवश्य पहनने की हिदायत दी गई।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....