13 साल पहले पति ने अपनी पत्नी को छोड़, कर दिया था बेसहारा, आज बुरे वक्त में वहीं बनी सहारा

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर फिल्मों में देखा जाता है कि पति द्वारा अपनी पत्नी को बेसहारा छोड़ देता है, फिर कुछ ऐसा होता है कि पति को बाद में पछतावा करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला भोपाल (Bhopal) से सामने आया है, जहां 13 साल पहले पत्नी को तलाक (Divorce wife) देकर उसके पति ने महिला को बेसहारा (Destitute) छोड़ दिया था, लेकिन आज उसके बुरे वक्त पर उसकी पत्नी ही सहारा बन कर उसके साथ खड़ी है। बता दें कि महिला के पति को कैंसर की बीमारी (Cancer disease) का पता तब चला जब उसकी बीमारी तीसरे चरण पर थी। जिसके बाद उसके परिवार वालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। इसकी जानकारी लगते ही महिला ने बीती बातों को भूलाते हुए अपने पति का साथ देने का निर्णय लिया और आज वह अपने पति का सहारा बनी है।

ऐसे हुए थे अलग


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।