जिस लड़की के चक्कर में की फायरिंग, वो दोनों की ही नहीं थी गर्लफ्रेंड, जाने पूरा मामला

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। प्यार में पजेसिवनेस (Possessiveness) और रोक-टोक आम बात है। कहा जाता है कि प्यार में थोड़ी बहुत जलन होना ये दर्शाता है कि सामने वाला आपसे बहुत प्रेम करता है और आपको कभी खोना नहीं चाहता। लेकिन कभी-कभी यही पजेसिवनेस और जलन (Jealousy) रिश्ते के साथ-साथ लोगों के लिए भी हानिकारक (Hazardous) हो जाती हैं। जहां लड़की या लड़के के किसी अन्य लड़की लड़के से बात करने के चलते विवाद तो होता ही है, साथ ही कुछ ऐसी वारदातें सामने आ जाती है जो चौंका के रख देती है।

एक ऐसा ही मामला ग्वालियर (Gwalior) के चंदन नगर से सामने आया है, जहां एक युवक को अपनी गर्लफ्रेंड (Girl Friend) के किसी दूसरे युवक से बात करना पसंद नहीं था। जिसके चलते आरोपी ने युवक का रास्ता रोककर उससे पूछा कि तू मेरी गर्लफ्रेंड से बात क्यों करता है और यह पूछने के बाद आरोपी ने युवक के साथ मारपीट शुरू कर दी। जिसके बाद अपनी जान बचाकर भाग रहे युवक पर आरोपी ने फायरिंग (Firing) कर दी। इस वारदात में युवक की पीठ पर गोली का छर्रा लगा है। पूरा मामला बीते दिन चंदन नगर का है। वहीं गुरुवार सुबह इस मामले में ग्वालियर पुलिस ने गोली चलाने वाले आरोपी पर हत्या के प्रयास (Attempt to murder) का केस दर्ज कर लिया है। वहीं बताया जा रहा है कि जिस लड़की के चक्कर में आरोपी ने युवक को घायल किया था वो दोनों में से किसी की भी गर्लफ्रेंड नहीं है, वो दोनों लड़कों से बात करती है,इसी कारण दोनों उसे अपनी गर्लफ्रेंड मानते थे।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।