उज्जैन : दिल का दौरा पड़ने से जहरीली शराब कांड के आरोपित सिपाही की जेल में मौत

उज्जैन,डेस्क रिपोर्ट।  बीते साल 14 अक्टूबर को उज्जैन  (Ujjain) में जहरीली शराब (Poisonous liqor) पीने के चलते 36 घंटे के भीतर 14 लोगों की मौत (death) का मामला सामने आया था, जिसने देश भर में सुर्खियां बटोरी थी। उसी मामले में सस्पेंड आरोपी सिपाही  सुदेश खोड़े (Sudesh Khode) की गुरुवार सुबह केंद्रीय जेल भैरवगढ़ (Central Water Bhairavgarh) में मौत हो गई। मौत के पीछे का कारण हार्ट अटैक (Heart Attack) बताया जा रहा है। शव को पोस्टमार्टम के बाद मृतक सिपाही के घर भेज दिया गया है‌‌। वही पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मजिस्ट्रियल जांच (Magisterial inquiry) के आदेश भी दिए गए हैं।

दरअसल अक्टूबर के महीने में उज्जैन में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई थी। इस जहरीली शराब कांड में उज्जैन के महाकाल थाने में पदस्थ सिपाही सुदेश खोड़े, वही खाराकुआं थाने में पदस्थ शेख अनवर और नवाज शरीफ को आरोपी बनाया गया था। तीनों आरोपितों के खिलाफ विभागीय जांच की गई थी और जांच में तीनों दोषी पाए गए थे। दोषी पाए जाने के बाद आरोपी सिपाही सुदेश खोड़े लंबे समय से फरार थे, वहीं अन्य दो आरोपी नवाज शरीफ और शेख अनवर को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। साथ ही उन्हें बर्खास्त भी कर दिया गया था। सिपाही सुदेश खोड़े के फरार होने के कारण तत्कालीन एसपी ने उस पर 10,000 रुपए के इनाम की घोषणा की थी। बता दें कि आरोपी को उज्जैन के ही लक्ष्मी नगर रोड से गिरफ्तार किया गया था।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।