ग्वालियर, अतुल सक्सेना। फरवरी में सर्दी के विदा होने और तेज गर्मी पड़ने से ग्वालियर जिला प्रशासन (Gwalior District Administration) के माथे पर अभी से चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। मार्च की शुरुआत में है तापमान 34 -35 डिग्री के आसपास होने से प्रशासन को इस बात की फ़िक्र है कि यदि तापमान में बढ़ोत्तरी ऐसे ही जारी रही तो कहीं पेयजल संकट न गहरा जाये। इसलिए जिला प्रशासन ने जिले को जल अभावग्रस्त (Water Scarcity) जिला घोषित कर दिया है और नलकूप खनन (Boring) पर रोक लगा दी है।
जिले में गिरते हुए भू-जल स्तर को ध्यान में रखकर और पेयजल व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के मकसद से कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Kaushalendra Vikram Singh) ने जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया है। साथ ही भू-जल स्तर में आ रही गिरावट को ध्यान में रखकर सम्पूर्ण जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने मध्यप्रदेश पेयजल परीक्षण अधिनियम के तहत इस आशय का प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। आदेश के उल्लंघन पर दो वर्ष तक के कारावास एवं दो हजार रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।