विकास योजनाएं पूरी करने नई सरकार ने लिया 5600 करोड़ का कर्ज

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भोपाल। प्रदेश में रविवार को वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन था। इस वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान सरकार की बड़ी आलोचना का केंद्र रहे कर्ज का ब्यौरा भी साफ हो गया है। इस मौजूदा वित्तीय वर्ष की अवधि में चाहे तत्कालीन भाजपा सरकार रही हो या फिर कर्ज को लेकर पहले मुखर विरोधी रही मौजूदा कांग्रेस सरकार हो। जब कर्ज लेने की बारी आती है तो फिर कोई भी सरकार इससे गुरेज नहीं करती। ऐसा ही हुआ। प्रदेश में सरकार तो बदल गई, लेकिन कर्ज लेने का ट्रेंड नहीं बदला। नई सरकार ने भी बीते तीन माह की अवधि में बाजार से 5600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। वहीं तत्कालीन भाजपा सरकार भी 9 माह की अवधि में 10700 करोड़ रुपये का कर्ज लादने में पीछे नहीं रही।

राज्य सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 26 मार्च को 600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। यह कर्ज वित्तीय वर्ष का आखिरी कर्ज सााबित हुआ। कमलनाथ सरकार ने कामकाज संभालने के बाद पहली बार 16 जनवरी को 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। यह सिलसिला फरवरी और मार्च मेंभी चलते रहा। इस अवधि में नई सरकार ने कुल 6 बार बाजार से कर्ज उगाही की। वहीं पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने कुल 11 बार कर्ज के लिये बाजार का दरवाजा खटखटाया। इस तरह चाहे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार रही हो या फिर नई कांग्रेस सरकार कर्ज लेने के मामले में किसी ने कोई कमी नहीं की। यह और बात है कि जब भी कोई दल विपक्ष में होती है, तो फिर सरकार के कर्ज को लेकर रस्मी विरोध जरुर जाहिर करती है और इसे लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करती है लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आती है तो फिर कर्ज लेना उसकी मजबूरी हो जाती है। इतना ही नहीं वह पार्टी जो कल तक कर्ज लेने की आलोचना करते नहीं थकती थी, वही अब कर्ज को जायज ठहराने में लगी रहती है।


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