भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। 2 मई का इंतजार सभी को था, पांच राज्यों में हुए विधानसभा नतीजों को लेकर सबकी नजरें इस तारीख पर थी। खासकर बंगाल में इस बार मुकाबला कड़ा और रोचक है। जहां ‘खेला होबे’ और ‘दो मई दीदी गई’ के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है। अब जबकि रूझान काफी कुछ साफ होते नजर आ रहे हैं और ये लग रहा है कि टीएमसी को दो तिहाई बहुमत मिल रहा है, बात करते है सिनेमा की।
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जी हां..आज यानी 2 मई को महान निर्देशक सत्यजीत रे का जन्मदिन है। ये उनका शताब्दी वर्ष है> सत्यजीत रे अगर आज जीवित होते तो सौ बरस के होते। 2 मई..पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों के बीच भी सबसे पहले मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सत्यजीत रे को श्रद्धांजलि दी। उन्होने कहा कि ‘महान फिल्म निर्माता, निर्देशक, लेखक, संगीतकार को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि। वे केवल बंगाल नहीं अपितु पूरे भारत और विश्व का गौरव हैं। दुनियाभर के लोगों को उन्होने प्रेरणा दी है।’ इस तरह चुनावी नतीजों से पहले ममता बनर्जी ने सत्यजीत रे को याद किया। बता दें कि बंगाल में सिनेमा जीवनशैली का एक अभिन्न अंग है। कलाप्रेमी बंगाली समाज ने सिनेमा को ह्रदय से अपनाया है।
2 मई 1929 को सत्यजीत रे का जन्म कोलकाता के एक भद्र बंगाली परिवार में हुआ। उन्हें 20वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशकों में गिना जाता है। अपने करियर की शुरूआत उन्होने एक चित्रकार के तौर पर की। 1950 में लंदन की यात्रा के बाद उनका रूझान फिल्मों के प्रति हुआ। उनकी पहली फिल्म पाथेर पांचाली थी जिसे भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है, अपराजितो, अपूरसंसार और चारूलता सहित कई यादगार फिल्में उनके नाम है। शतरंज के खिलाड़ी उनकी पहली हिंदी फिल्म थी। 1992 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा सत्यजीर रे को 32 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 30 मार्च 1992 को उन्हें ‘ऑनररी लाइफ टाइम अचीवमेंट’ से भी नवाजा गया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की।