मुरैना, नितेन्द्र शर्मा। मुरैना जिला अस्पताल (Morena District Hospital) परिसर में एक नवजात शिशु (Newborn Baby) का सिर कटा शव मिलने के बाद मानवता को शर्मसार कर देने वाले दो चेहरे सामने आये। पहले वो माता पिता जिन्होंने अपने अंश अपनी संतान को सड़क पर फेंक दिया दूसरे वो जिनपर स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी है। इस मांमले में सिविल सर्जन का बेतुका बयान सामने आने के बाद उनकी संजीदगी का अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
दरअसल मुरैना जिला अस्पताल परिसर में एक नवजात शिशु का सिर कटा शव मिलने की घटना सामने आई। । अस्पताल में मौजूद ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने पुलिस को सूचना दी , पुलिस मौके पर पहुंची और पंचनामा बनाकर शव को कब्जे में लेकर पीएम के लिए भेज दिया। किसी ने इसकी वीडियो बनाकर वायरल कर दी। वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर लोग खूब फॉरवर्ड कर रहे हैं। चूँकि वीडियो आपको विचलित कर सकता है इसलिए हम आपको यहाँ वीडियो नहीं दिखा रहे।
इस मामले में कोतवाली थाना पुलिस का कहना हैं कि चूँकि शव अस्पताल परिसर में मिला है और उसके पास निडिल आदि भी मिली है इसलिए इस मामले में अस्पताल की भूमिका की भी जाँच की जाएगी।
उधर जब मीडिया ने सिविल सर्जन एवं जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ अशोक गुप्ता से सवाल किये तो उन्होंने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना और बेतुका जवाब दिया। डॉ गुप्ता ने तर्क दिया कि किसी नर्सिंग होम में डेड चाइल्ड हुआ होगा उसे कोई थैले में भरकर यहाँ फेंक गया होगा, हमने पुलिस को सूचना देकर उसका पीएम करा दिया है। जिला अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर सिविल सर्जन ने कहा कि यहाँ काहे की सुरक्षा व्यवस्था ये तो पब्लिक प्लेस है, कोई आदमी आया थैले में भरकर लाया और यहाँ फेंक गया उसमें क्या कर सकते है। बड़ी बात ये है कि अस्पताल अधीक्षक इसे अस्पताल की चूक भी नहीं मानते।
बहरहाल सिर कटे नवजात के शव को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि शव खुले में रात भर पड़ा होने से किसी जानवर ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया होगा। अब ये जाँच के बाद ही पता चल सकेगा की हकीकत क्या है लेकिन इस घटना ने इंसान की इंसान के प्रति संजीदगी को कठघरे में जरूर खड़ा कर दिया है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....