भोपाल। रामेश्वर धाकड़| मप्र भाजपा के बुजुर्ग नेताओं का भी मार्गदर्शक मंडल है, लेकिन अभी तक इसमें गिने-चुने नेता ही थे। पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में टिकट की दौड़ से बाहर हो चुके नेता भी अब मार्गदर्शक मंडल के सदस्य होंगे। मार्गदर्शक मंडल की अध्यक्ष की भूमिका पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन हो सकती हैं। अगले एक साल के भीतर वे नेता भी शामिल हो जाएंगे, जो मप्र भाजपा में किसी पद पर हैं, या फिर राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं।
भाजपा में बुजुर्ग हो चुके नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में भेजने की शुरूआत पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव से हुई थी। जब पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी लोकसभा चुनाव जीतकर आए थे, लेकिन मोदी सरकार में उन्हें जगह नहीं देते हुए मार्गदर्शक मंडल में बैठा दिया था। तब मार्गदशर्क मंडल के सदस्यों की सूची में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। इसके बाद मार्गदर्शक मंडल का चलन राज्यो��� की तरफ बढ़ा। मप्र में बुजुर्ग हो चुके नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में धकेल दिया गया है। हाल ही में बीते दो चुनावों में कई नेता मुख्य धारा से बाहर हो गए हैं। अब वे नेता मार्गदर्शक मंडल के सदस्य कहलाने लगे हैं। अभी तक कैलाश जोशी, कैलाश सारंग, मेघराज जैन, सत्यनारायण जटिया, विक्रम वर्मा ही मार्गदर्शक मंडल के सदस्य कहलाते थे। लेकिन अब इसमें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कृष्ण मुरारी मोघे, रघुनंदन शर्मा, बाबूलाल जैन का भी नाम जुड़ गया है। क्योंकि गौर का पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट कटा और महाजन का हाल ही में लोकसभा चुनाव का टिकट काटा गया है। चूंकि मप्र भाजपा में भी दूसरी पीढ़ी तैयार हो चुकी है, ऐसे में अब नेता सिर्फ मार्गदर्शक मंडल तक ही सीमित रहेंगे। खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव में इनमें से किसी भी नेता को कोई भी दायित्व नहीं सौंपा गया था। इससे साफ है कि मप्र भाजपा के बुजुर्ग नेता अब सिर्फ मार्गदर्शक की भूमिका में ही रहेंगे। मप्र भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सुमित्रा महाजन मप्र भाजपा के मार्गदर्शक मंडल की अध्यक्ष हो सकती हैं। खास बात यह है कि मंडल के नेताओं का काम सिर्फ पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ताओं का मार्ग दर्शन कराना ही है।