उप चुनाव-दांव पर रहेगी सिंधिया व तोमर की प्रतिष्ठा, चुनावी मैदान में दावेदार सक्रिय

भोपाल। प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस के उस समय झटका लगा जब जौरा से कांग्रेस विधायक का निधन हो गया। विधायक बनवारी लाल के निधन का झटका पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का काफी लगा जिसके कारण उन्होंने अपना जन्मदिन ही मनाने से मना कर दिया है। जौरा में होने वाले उप चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारो में गरमाहट शुरू हो गई है ओर इस सीट को लेकर इस बार सिंधिया के साथ केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। इसका कारण यह है कि तोमर मुरैना संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं जबकि सिंधिया अंचल के सर्वमान्य कांग्रेस नेता हैं। 

प्रदेश में भले ही भाजपा की सरकार रही हो, लेकिन उप चुनाव में कांग्रेस की जीत का इतिहास रहा है। शिवपुरी विधानसभा का उप चुनाव हुआ था उस समय भाजपा की सरकार थी ओर सत्ता पक्ष के अधिकांश मंत्रियो ने वहां डेरा डाला था, लेकिन कांग्रेस की तरफ से अकेले सिंधिया ने लड़ाई लड़ी ओर कांग्रेस प्रत्याशी को फतह दिलवाई थी। इसी तरह कोलारस के साथ ही अटेर का भी उप चुनाव कांग्रेस ने सिंधिया की दम पर जीता था। अब सत्ता कांग्रेस के हाथ में है ओर जौरा विधानसभा में उप चुनाव अगले 6 माह के अंदर होना है ऐसे में एक बार फिर सिंधिया के कंधो पर भार आने वाला है। वैसे विधानसभा चुनाव के समय भी सिंधिया ने अंचल का भार अपने कंधो पर लिया था ओर 28 विधानसभा सीटे जीतकर कांग्रेस को दी थी जिसके कारण ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन सकी थी। इस बार सिंधिया का सामना केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से होगा, क्योंकि तोमर मुरैना संसदीय क्षेत्र से सांसद है ओर उनके कंधे पर ही भाजपा बोझ डालेगी। जौरा विधानसभा में बसपा का भी काफी बोलबाला रहा है ओर वहां से उसके दो बार विधायक भी रहे है इसलिए कांग्रेस को बसपा के साथ समझौता करने में लाभ हो सकता है, लेकिन उप चुनाव के समय क्या गणित बैठता है उसके बाद ही यह तय हो सकेगा कि कांग्रेस के लिए राह कितनी आसान है।


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