मप्र में संविदाकर्मियों को झटका, नियमितीकरण पर संकट

भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर संविदाकर्मियों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। लम्वे समय से यह कर्मचारी नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें खुशखबरी नहीं मिली है। इस बीच खबर है कि अतिथि शिक्षकों की तरह संविदा कर्मियों को भी सीधी भर्ती में प्रोत्साहन अंक दिए जाने की तैयारी है। विधानसभा चुनवा के दौरान कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद विधि-विधायी कार्यमंत्री पीसी शर्मा ने वरिष्ठता के हिसाब से खाली पदों पर संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने जब इन कर्मचारियों की नियुक्ति की फाइलें खंगालीं तो कई तरह की गड़बडिय़ां सामने आईं। इसलिए कर्मचारियों को सीधे नियमित करने की बजाय खाली पदों के लिए सीधी भर्ती करने और भर्ती में शामिल संविदा कर्मचारियों को विशेष प्रोत्साहन अंक देकर भर्ती में प्राथमिकता देने की तैयारी है।

सरकार अब सीधी भर्ती में प्रोत्साहन अंक देने की तैयारी में है। भाजपा सरकार ने संविदाकर्मियों के नियमितीकरण की जो नीति बनाई थी, उसमें भी बीस फीसदी कोटा संविदाकर्मियों के लिए आरक्षित रखा गया है। सत्ता में आने के बाद कमलनाथ सराकार ने संविदाकर्मियों पर विचार करने के लिए मंत्रियों की एक कमेटी भी बनाई गई लेकिन अब तक कोई सार्थक परिणाम नहीं आए हैं। भाजपा सरकार की 5 जून 2018 की संविदा नीति का हवाला देकर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कहा गया कि सीधी भर्ती के पदों पर 20 प्रतिशत पद संविदाकर्मियों से भरे जाने का प्रावधान है। इसके तहत चरणबद्ध तरीके से नियमित नियुक्ति का अवसर एवं नियमितीकरण तक नियमित वेतनमान का 90 फीसदी लाभ देने सहित प्रत्येक वर्ष जनवरी में वेतनवृद्धि मूल्य सूचकांक के आधार पर देने का भी प्रावधान है। इन सारी कार्रवाई के लिए विभागों को संविदा अनुबंध में परिवर्तन करना होगा।


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