नजरिया: इस तरह दिग्विजय सिंह बने ‘मिस्टर बंटाधार’ से ‘किंग मेकर’, कमलनाथ के सबसे करीबी

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भोपाल। मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है। इस कामयाबी के पीछे कई राजनीति के जानकारों का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने ही कांग्रेस की सत्ता वासपी की स्क्रिप्ट तैयार की थी और वही प्रदेश में कांग्रेस की जीत के किंग मेकर हैं। लेकिन सिंह का मानना ऐसा नहीं है। वह खुद को पार्टी जीते के लिए किंग मेकर की भूमिका में नहीं देखते। 2003 कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हुई तो सिंह को ‘मिस्टर बंटाधार’ का नाम दिया गया। कहा गया कि उनके शासन में जनता दुखी थी इसलिए कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। उस समय उमा भारती ने बीजेपी की कमान संभाली थी। उन्होंने ही सिंह को बंटाधार का नाम दिया था। 

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस 2003 के बाद लगातार 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव हारी। दोनों ही चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के एक धड़े के नेताओं की राय थी कि सिंह के शासन के दौरान जनता में गहरा असंतोष है जिसकी वजह से पार्टी लगातार तीन चुनाव हारी है। 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान सिंह ने खुद भी कहा था कि वह पार्टी के लिए प्रचार नहीं करेंगे क्योकि उनके बोलने से पार्टी को नुकसान होता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, ” दिग्विजय सिंह की लोकप्रियता लगातार घटी क्योंकि भाजपा ने उनके खिलाफ एक खास तरह की मुहिम चलाई थी। उनकी छवि को बंटाधार के तौर पर बताया गया, जिसने प्रदेश की जनता में ऊबाल और गुस्सा पैदा किया। लेकिन सिंह ने भी इस छवि को तोड़ने के लिए कभी कोई कदम नहीं उठाया। साल दर साल उनकी ये छवि कठोर होती गई और हाईकमान भी इस पर यकीन करने लगे। “


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