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महाभारत कथा: क्या था वो 'नारायण अस्त्र' जो द्रोणाचार्य ने बेटे अश्वत्थामा को दिया? क्यों सिर्फ भीम को लगी इसकी मार

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महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य ने अपने बेटे अश्वत्थामा को एक गुप्त और शक्तिशाली 'नारायण अस्त्र' सौंपा था, जिसका प्रभाव युद्ध के दौरान स्पष्ट रूप से देखा गया।

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भीम एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने श्रीकृष्ण की चेतावनी के बावजूद नारायण अस्त्र के प्रभाव का सामना किया, जबकि अन्य इसका प्रभाव नहीं सह सके।

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द्रोणाचार्य, जो अपनी उम्र के बावजूद युद्ध में तेज थे, ने धृष्टद्युम्न को चुनौती दी, लेकिन भीम ने एक चाल चलकर द्रोणाचार्य को भ्रमित कर दिया।

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भीम ने युद्धक्षेत्र में घोषणा की कि उन्होंने अश्वत्थामा का वध कर दिया है, जबकि वास्तव में उन्होंने एक हाथी का वध किया था, जिससे द्रोणाचार्य को आघात पहुँचा।

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अपने बेटे की मौत की गलत सूचना सुनकर द्रोणाचार्य ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र त्याग दिए और युद्ध से अलग हो गए, जिससे धृष्टद्युम्न ने उन्हें मार डाला।

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द्रोणाचार्य की मृत्यु से क्रोधित अश्वत्थामा ने प्रतिशोध की भावना से भरकर अपने पिता के नारायण अस्त्र का आह्वान करने का निर्णय लिया।

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अश्वत्थामा ने जब नारायण अस्त्र का मंत्र पढ़ा, तो आकाश में अंधेरा छा गया और सुनहरे बाणों की वर्षा शुरू हो गई, जो विनाशकारी साबित हुई।

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जब श्रीकृष्ण ने देखा कि आकाश में अंधेरा हो रहा है और बाणों की बौछार हो रही है, तो उन्हें तुरंत पता चला कि अश्वत्थामा ने नारायण अस्त्र का उपयोग किया है, जो उसके पिता की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए था।

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