इस महाविद्यालय में खुले आम उड़ाई गई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां,उत्तर पुस्तिका जमा करने पहुंचे 300 छात्र

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले के पथरिया में स्थित शासकीय महाविद्यालय में कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी सोशल डिस्टेंस और नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसा महज इसलिए है क्योंकि शासकीय महाविद्यालयों की गतिविधियों को संचालित करने के लिए इन छात्रों से घर बैठे प्रोजेक्ट बनवाए गए और उनकी कॉपियां जमा करने के लिए बच्चों को कॉलेज बुला लिया गया, ऐसे में खुलेआम संक्रमण काल में नियमों को मुंह चिढ़ाते नजारे देखने मिले।

पथरिया के माधवराव सप्रे महाविद्यालय में लगी यह लंबी कतारें महाविद्यालय में प्रोजेक्ट की कॉपियां जमा करने के लिए आए छात्र छात्राओं की है। ऐसे में यह छात्र-छात्राएं स्वयं ही ना तो सोशल डिस्टेंस का ध्यान कर रहे हैं और ना ही मास्क लगाएं है। ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा इसलिए भी और बढ़ जाता है, क्योंकि इस महाविद्यालय परिसर में ही कोविड-19 सेंटर स्थापित किया गया है। जहां पर मरीजों को ठीक किया जा रहा है, भर्ती किया जा रहा है, इलाज दिया जा रहा है। ऐसे हालात में इस संक्रमित क्षेत्र में करीब 300 छात्र छात्राओं को एक साथ कॉपियां जमा करने के लिए बुला लेना कहां तक न्याय संगत और जिम्मेदारी पूर्ण रवैया कहा जाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।