कांग्रेस का सीएम शिवराज सिंह चौहान पर अनूठा तंज, लगाई नारियल की दुकान

coconut shop of congress
  • कांग्रेसियों ने कहा कि सीएम की एक जेब में 50 करोड़ तो दूसरी जेब में 50 हजार करोड़ के नारियल होते है।
  • कांग्रेसियों का आरोप आज तक घोषणाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया गया हैं।

इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) पर अब कांग्रेस (congress) अनूठे अंदाज में हमला बोल रही है। दरअसल, आचार सहिंता (Code of conduct) लगने से पहले प्रदेश में जगह – जगह सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने कई महती योजनाओं का शिलान्यास किया तो कई की आधारशिला रखी थी और अब चुनावी सभाओं में सीएम शिवराज, कांग्रेस और कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) पर झूठे वादे कर जनता को बरगलाने का आरोप भी लगा रहे है। ऐसे में प्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के पहले इंदौर में कांग्रेस (Indore Congress) ने सीएम शिवराज सिंह चौहान पर तंज कसते हुए अनूठे तरीके से विरोध जताया।

इंदौर में गांधी भवन कांग्रेस कार्यालय (congress office of indore) पर कांग्रेसियों ने नारियल की दुकान लगाई है, जिसको मुख्यमंत्री शिवराज घोषणा वीर नारियल की दुकान नाम दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव विवेक खंडेलवाल, राजीव विकास केंद्र के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव और गिरीश जोशी द्वारा गांधी भवन के बाहर लगाई गई शिवराज घोषणा वीर नारियल दुकान पर प्रतीकात्मक तौर पर सीएम शिवराज को भी बिठाया गया है। साथ ही दुकान पर 50 करोड़ से 50 हजार करोड़ तक की तख्तियां लगाई गई है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।