Suicide :सिविल जज बनने का सपना टूटा तो महिला ने समाप्त कर ली अपनी जीवन लीला

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (Former President of India APJ Abdul Kalam) ने कहा था कि सपने (Dreams) वह नहीं जो हम सोते वक्त देखतें है, सपने तो वो होते हैं जो हमें सोने ही ना दें। लेकिन कभी-कभी कुछ सपने एक इंसान के जीवन में इतने अहम बन जाते हैं कि उसके टूट जाने से इंसान भी टूट जाता है। एक ऐसा ही मामला ग्वालियर (Gwalior) से आया है, जहां एक महिला ने सिविल जज (Civil Judge) की परीक्षा में सफल नहीं होने के कारण अपनी जान दे दी (Suicide)।

बुधवार को दोपहर में छत्तीसगढ़ सिविल जज परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें 26 साल की मेघा यादव का चयन नहीं हुआ, इससे वो इतनी हताश हो गई कि रात को उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी (Suicide)। घटना की जानकारी लगते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम (Postmortem) के लिए भेज दिया, वही पलस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।

दरअसल ग्वालियर के महाराजपुरा के डीडी नगर की रहने वाली 26 साल की मेघा यादव की शादी दो साल पहले प्रदीप सिंह यादव से हुई थी। मेघा काफी लंबे समय से सिविल जज की तैयारी में जुटी हुई थी। मेघा ने लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली थी। 2019 में मृतका मेघा ने छत्तीसगढ़ सिविल जज (Chhattisgarh Civil Judge Examination) की परीक्षा दी लेकिन कोरोना वायरस (Corona Virus) के मद्देनजर रिजल्ट काफी लंबे समय तक घोषित नहीं हुआ।

वही बीते बुधवार छत्तीसगढ़ सिविल जज की परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। मृतका मेघा ने दोपहर बड़े हर्ष के साथ अपना रिजल्ट को खोला, लेकिन जैसे ही मेघा ने अपना परिणाम देखा और पाया कि उसका चयन नहीं हुआ है तो वह काफी हताश हो गई। मेघा को उदास देख उसके पति और ससुराल वालों ने उसके काफी समझाया और कहा कि इस बार नहीं हुआ तो क्या हुआ आगे और भी मौके मिलेंगे पर वह नहीं मानी। जिसके बाद बुधवार रात महिला ने दुपट्टे से फंदा बनाकर फांसी लगा ली।

मृतका के परिजनों को जब तक उसके फांसी लगाने की जानकारी लगती, उसकी मौत हो गई थी। जिसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही तुरंत पुलिस घटना स्थल पर पहुंची और उसने सघन जांच की लेकिन कोई सुसाइड नोट (Suicide Note) नहीं मिला, इसके बाद पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है।

वही मेघा के सुसाइड (Suicide) करने के बाद उसके परिजन किसी से बात करने के लिए तैयार नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार मेघा काफी होशियार महिला (Intelligent Women) थी और वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित थी। रिजल्ट में असफल होने के बाद उससे घरवालों ने काफी समझाया लेकिन उसने किसी की नहीं मानी और उसमे मौत को गले लगा लिया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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