देवास/बागली,सोमेश उपाध्याय। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बागली के सरकारी अस्पताल की लापरवाहीया जगजाहिर है। यहां अव्यवस्थाओं के अंबार तो है ही परन्तु संवेदनाए भी खत्म सी हो गई है। एक ओर सरकार आदिवासी समाज के उत्थान के लिए बड़े-बडे आयोजन करती है, गरीबो के नाम पर करोड़ो की योजनाएं संचालित करती है तो दूसरी तरफ ये ही गरीब, आदिवासी अपने हालातों पर जीने को मजबूर है। यहां गुरुवार को आयोजित नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद निर्धन आदिवासी महिलाएं औऱ उनके मासूम बच्चे कड़ाके की सर्दी में सरकारी अस्पताल के बाहर रातें गुजारने को मजबूर हैं।
एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने खुद देर रात को स्थिति का जायजा लिया। अधिकारीयो से चर्चा करने की कोशिश करी तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला।कर्मचारी तो खुद दबे स्वर में स्थिति पर अपनी मजबूरी बता रहे थे। जिम्मेदार अधिकारी तो बात करने को तैयार ही नहीं थे।
विभाग की संवेदना तो मानो खत्म ही हो गई। क्योंकि…खुले में सो रही महिलाएं व बच्चे शीत से कांप रहे थे। कहीं जगह नहीं मिली तो कुछ लोगों ने बन्द गुमटियों का आश्रय लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरुवार के शिविर में 29 महिलाओं का ऑपरेशन हुआ। ये सभी बहुत ही गरीब परिवारों की आदिवासी महिलाएं थी। मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाए हैं कि उन्हें ओढ़ने के लिए कंबल तक नहीं दिए जा रहे हैं। ये लोग मजबूरन टेंट की दुकानों से रजाई का इंतजाम करते है। गुरुवार रात तो कुछ युवा कार्यकर्ताओ ने अस्पताल परिसर में हल्ला मचा कर अस्पताल के अंदर सोने की व्यवस्था करा दी थी, परन्तु वहां भी व्यवस्था ठीक नहीं थी।
नहीं है दवाई,बाजार से खरीदने को मजबूर मरीज
यहां पिछले रेबीज़ इंजेक्शन भी नहीं है। करीब 2 दर्जन से अधिक मरीज कुत्ते काटने का शिकार हुए परन्तु अस्पताल में इंजेक्शन ही नहीं उपलब्ध है। मजबूरन में महंगी कीमत में बाजार से खरीदना पड़ता है।इसी प्रकार अन्य प्रमुख दवाइयां भी यहां उपलब्ध नहीं है।
अधिकारी ने नही उठाया फोन
मामले की जानकारी के लिए बीएमओ डॉ विष्णुलता उईके से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने कॉल ही रिसीव नहीं किया। वही देवास सीएचएमओ एनपी शर्मा ने समस्या सुनते ही फोन काट दिया। वहीं बागली के विधायक पहाड़ सिंह कन्नौजे ने इस पूरे मामले पर कहा कि ये बहुत ही गलत है। मेरी अधिकारीयों से बात हुई है । ऐसे संवेदनशीलता बर्दास्त नही होंगी। में आला अधिकारियों से भी चर्चा करूँगा।
सरकारी अस्पताल में अव्यवस्थाओं का अंबार, बाहर सर्दी में कांप रही मासूम जिंदगियां@VishvasSarang @DrPRChoudhary @pcsharmainc @jitupatwari @ChouhanShivraj https://t.co/y2Jq0mW8dJ pic.twitter.com/J65ooTwSTS
— MP Breaking News (@mpbreakingnews) January 8, 2021