Mobile की जिद, जान पर हावी : युवती ने लगाई फांसी, पुलिस ने किया रेस्क्यू

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मां बाप अपने बच्चों की हर जरूरत पूरी करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा देते हैं। पर कभी-कभी कुछ हालात ऐसे सामने आ जाते हैं की मां बाप को अपने बच्चों की जरूरतों को अलग रखकर अन्य जरूरतों के बारे में भी सोचना पड़ जाता है ‌। पर बच्चे अक्सर अपने मां-बाप की मजबूरियों को नहीं समझते हैं और उन्हें गलत समझ बैठते हैं और गुस्से में कुछ ऐसा कर जाते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए।

ग्वालियर (Gwalior) से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक 20 साल की युवती ने अपने घर में सिर्फ इसलिए फांसी लगा ली क्योंकि उसके मां-बाप ने उसकी मोबाइल (Mobile)दिलाने की जरूरत पूरी नहीं की। युवती ग्वालियर के अंबेडकर नगर की रहने वाली है। वही जैसे ही परिजन को युवती के फांसी लगाने की सूचना मिली तो उन्होंने तुरंत पुलिस को इस घटना की खबर दी, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कमरे का दरवाजा तोड़ा और युवती को फंदे पर लटकने से बचा लिया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।