मासूम से दुष्कर्म कर हत्या करने वाले दरिंदे को फांसी की सजा 

Atul Saxena
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छिंदवाड़ा, विनय जोशी। चार महीने पहले एक मासूम के साथ दुष्कर्म (Rape) कर उसकी हत्या (Murder) के बाद शव (Body) को डेम में फेंकने वाले दरिंदे को कोर्ट ने फांसी (Hanging) की सजा सुनाई है जबकि इस अपराध में उसका साथ देने आरोपी को सात साल के सश्रम कारावास की सजा से दण्डित किया है।  पुलिस ने इस जघन्य हत्याकांड को चुनौती के रूप में लिया था और घटना  दो दिन बाद बच्ची का शव मिलते ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।

जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा (Chhindwara) के अमरवाड़ा थाना क्षेत्र के निवासी की तीन साल की मासूम घर के सामने खेलते समय लापता हो गई थी। परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस में की लेकिन  दो दिन तक पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगा।  20  जुलाई को मासूम का शव माचागोरा डेम में तैरता मिला।  जिसके बाद पुलिस ने संदेह के आधार पर पड़ोस  में रहने वाले रितेश उर्फ़ रोशन धुर्वे को हिरासत में लिया।  रितेश ने जो कहानी सुनाई तो पुलिस चौंक गई। रितेश ने पुलिस को बताया कि बच्ची घर के बाहर खेल रही थी उसने 10 रुपये दिखाकर अपने पास बुलाया और घर ले जाकर उसका मुंह चुन्नी से बांध कर उसके साथ दुष्कर्म किया।  इसी दौरान मासूम की मौत हो गई। मासूम की मौत के बाद  उसने अपने साथी धनपाल को बुलाया फिर बच्ची के शव को मोटर साईकिल से माचागोरा डेम में ले जाकर फेंक दिया। पुलिस ने रितेश के बयान के आधार पर धनपाल को भी गिरफ्तार कर लिया उसके बाद पॉक्सो  एक्ट , हत्या,अपहरण और दुष्कर्म की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया।

पुलिस द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और अपराध की जघन्यता को देखकर माननीय विशेष न्यायालय पॉक्सो अमरवाड़ा , छिंदवाड़ा ने आरोपी रितेश धुर्वे को धारा 366 IPC ,में 10  साल का सश्रम कारावास एवं 2000  रुपये का अर्थदंड , धारा 201 IPC में 7 साल का ऍम कारावास एवं 2000  रूपए का अर्थदंड, धारा 302 IPC में मृत्यु दंड एवं 500  रुपये का अर्थदंड , से दण्डित किया एवं लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 5 m 6 में मृत्यु दंड की सजा से दण्डित किया है साथ ही उसके सहयोगी  धनपाल उइके को धरा 201 IPC  में 7 साल के सश्रम कारावास और 2000  रूपर के अर्थदंड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 16 ,17 में 7  साल के सश्रम कारावास और 2000  रुपये के अर्थदंड से दण्डित किया है। इस मामले में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजन अधिकारी समीर कुमार पाठक, संजय शंकर पाल , दिनेश कुमार उइके और लोकेश कुमार घोरमारे ने पैरवी की।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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