निर्दोष को गिरफ्तार करना पड़ा महंगा, टीआई सहित तीन पुलिसकर्मियों पर FIR

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर पुलिस के एक थाना प्रभारी को एक निर्दोष को गिरफ्तार करना महंगा साबित हुआ है। लोकायुक्त पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन थाना प्रभारी बहोड़ापुर,एक सब इंस्पेक्टर और एक आरक्षक पर FIR दर्ज कर ली है। इन लोगों पर पद के दुरुपयोग सहित भृष्टाचार अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि बहोड़ापुर थाना पुलिस ने लक्ष्मण तलैया निवासी अरुण शर्मा को 14 अगस्त 2020 को गिरफ्तार कर उसे पांच हजार रुपये का इनामी बताते हुए मीडिया के सामने पेश किया था। पुलिस ने अरुण को फरार चिटफंडी घोषित कर दिया और मीडिया में उसके फोटो और वीडियो वायरल कर दिये। अरुण ने इसपर आपत्ति दर्ज कराई। शिकायत के बाद जब इस मामले की जांच की गई तो पता चला कि पुलिस ने एक निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अधीक्षक ने तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश राजपूत को निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया।

इस पूरे मामले को लेकर अरुण शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने इस याचिका का अंतिम निराकरण करते हुए तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश राजपूत, सब इंस्पेक्टर संजीता मिंज, आरक्षक अचल शर्मा पर पांच लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। हर्जाने की राशि अरुण शर्मा को बतौर क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी। साथ ही 20 हजार रुपये का हर्जाना अलग से लगाया है। यह राशि हाई कोर्ट में याचिका दायर करने में आए खर्च के बदले में मिलेंगे। पांच लाख रुपये में तीन लाख रुपये दिनेश राजपूत व एक-एक लाख रुपये संजीता मिंज व अचल शर्मा से 35 दिन में वसूल किए जाएंगे। पैसा उनके वेतन या अन्य फंड से वसूल कर अरुण शर्मा को दिए जाएंगे। कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को तीनों के खिलाफ 15 दिन में FIR दर्ज कर 16वें दिन पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। लोकायुक्त पुलिस ने तीनों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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