शराब को लेकर बीजेपी नेता का विवादित बयान, कहा- अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में शराब को लेकर सियासत गरमाई हुई है। मुरैना जहरीली शराब कांड (Morena Poisonous Alcohol Scandal) के बाद से ही प्रदेश भर में शराबबंदी (liquor ban) के पक्ष में लगातार ही आवाज बुलंद हो रही है। जहां बीते दिन प्रदेश की पूर्व सीएम और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने ट्वीट कर प्रदेश में शराबबंदी (liquor ban) करने की बात कही है। साथ ही भाजपा नेत्री ने अपने ट्वीट में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी अपील की है कि जहां भी बीजेपी की सरकार हो वहां शराबबंदी कर देनी चाहिए।

वहीं आज मध्य प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी (Madhya Pradesh BJP Vice President Chaudhary Mukesh Chaturvedi) द्वारा प्रदेश में शराब दुकाने बढ़ाएं जाने को लेकर एक विवादित बयान दिया गया है। मुकेश चतुर्वेदी ने कहा कि अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे। मैंने खुद मृत्युंजय में पड़ा है। अपने बयान को स्पष्ट करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष कहते हैं कि इसमें लिखा है कि जब महाभारत के युद्ध की घोषणा हुई तो आयुध और शराब के उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया गया था, इसलिए तो सब पुरातन काल से चला आ रहा है।

प्रदेश के नवनियुक्त उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी शुक्रवार को ग्वालियर (Gwalior) दौरे पर पहुंचे थे। जहां उनसे प्रदेश में शराब की दुकान बढ़ाए जाने को लेकर सवाल किया गया था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि शराब शुद्ध मिलना चाहिए और इसे सीमा में पिए। आत्मानुशासन तो व्यक्ति को खुद बनाना पड़ेगा। क्योंकि सब काम पुरातन काल से होते चले आ रहे हैं। बस इसे सही सीमा में लेना चाहिए।

बता दें कि प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने अवैध शराब (Illegal Liquor)  पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में शराब की दुकानों को बढ़ाने का सुझाव दिया था, जिस पर अभी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Cm Shivraj Singh Chouhan) द्वारा कोई सहमति नहीं दी गई है। सीएम शिवराज ने कहा है कि प्रदेश से शराब माफियाओं को नष्ट करना सबसे पहला उपदेश है। वहीं प्रदेश में शराब की दुकाने बढ़ाएं जाने को लेकर कांग्रेस द्वारा प्रदेश सरकार को घेरा गया है।

शराब को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच 21 जनवरी को प्रदेश के आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे (State Excise Commissioner Rajiv Chandra Dubey) द्वारा एक पत्र लिखकर प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों से शराब की नई दुकानें खोलने के बारे में प्रस्ताव (Proposal) मांगा गया था । पत्र में कहा गया था कि नई दुकान खोलने के लिए आप जो भी प्रस्ताव भिजवाए उसमें उन गांव को जरूर ले जिनकी आबादी 5000 से ज्यादा है और जहां पहले से शराब की दुकान ही नहीं है।

जहां एक ओर सीएम शिवराज प्रदेश से शराब माफियाओं को खत्म करने की बात कर रहे हैं। वही आबकारी आयुक्त द्वारा कलेक्टरों को भेजे गए इस पत्र ने उन्हें कई सवालों से लाद दिया है। कलेक्टरों को भेजे गए प्रस्ताव जिसमें शराब दुकानों को बढ़ाने की बात कही गई है इसकी जानकारी जैसे ही मुख्यमंत्री को लगी तो उन्होंने नाराजगी जताई। सीएम की नाराजगी पर तुरंत आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। आबकारी आयुक्त ने सभी कलेक्टरों को ईमेल भेजा है जिसमें प्रस्ताव को निरस्त करने को कहा।

वही 21 जनवरी को शराबबंदी को लेकर भाजपा नेत्री उमा भारती द्वारा 8 ट्वीट किए जाने के बाद आज 22 जनवरी को उमा भारती द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। उमा भारती ने शराबबंदी को लेकर अपनी बात रखी मीडिया के सामने रखी। उमा भारती ने कहा कि मेरे द्वारा भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों को शराबबंदी का प्रस्ताव भेजा गया था, इस मुद्दे पर मैंने सीएम शिवराज सिंह चौहान से भी बात की थी। स्वस्थ समाज का निर्माण करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। शराबबंदी के लिए राजनीतिक साहस की जरूरत होती है। इस मुद्दे पर मैंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आगे भी बात करती रहूंगी। वह साहसी हैं और वे प्रदेश में शराब बंदी करने का निर्णय ले सकते हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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