ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Election 2021) और पंचायत चुनाव (Panchayat Election 2021) से पहले बड़ी खबर सामने आ रही है। ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) ने नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों में मेयर (Mayor) और अध्यक्ष (President) के पद को आरक्षित (Reservation) करते हुए मप्र सरकार (MP Government) द्वारा 10 दिसंबर 2020 को जारी आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई करते हुए आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
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दरअसल, नगरीय निकाय चुनावों की सुगबुगाहट के बीच ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ में अधिवक्ता मानवर्द्धन सिंह तोमर द्वारा इसकी आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी जिसमें याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी अभिभाषक अभिषेक सिंह भदौरिया द्वारा की गयी । याचिका पर पहली सुनवाई 10 मार्च 2021 को की गई और सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए समय देकर शुक्रवार 12 मार्च 2021 को सुनवाई के लिए नियत किया था।
ग्वालियर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कहा कि चूंकि प्रथम दृष्ट्या ऐसा प्रतीत होता है कि 10 दिसंबर 2020 को जारी आरक्षण आदेश में रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया है और हाईकोर्ट ने एक अन्य प्रकरण में ऐसा मान्य किया है कि प्रथम दृष्ट्या आरक्षण रोटेशन पद्धति (Reservation rotation method)से ही लागू होना चाहिए ऐसी स्थिति में प्रकरण के अंतिम निराकरण तक उक्त आरक्षण का नोटिफिकेशन (Notification) दिनांकित 10दिसंबर 2020 को पूर्ण रूप से स्थगित किया गया है l
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ग्वालियर हाईकोर्ट के समक्ष शासन की तरफ से पैरवी अतरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी जी ने की व याचिकाकर्ता की ओर से अभिभाषक अभिषेक सिंह भदौरिया उपस्थित हुए l याचिकाकर्ता ने 79 नगर पालिका व नगर परिषद, 2 मेयर सीट का भी हवाला दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने निकाय पर आरक्षण रोक लगा दी है। अब इस याचिका पर सरकार को अपना विस्तृत पक्ष रखना है।
बता दें कि दो दिन पहले भी ग्वालियर हाईकोर्ट (High Court) की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर (Gwalior) जिले की डबरा नगर पालिका और दतिया जिले की इंदरगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर रोक लगा दी थी।याचिकाकर्ता की ओर से भी तर्क दिया, इससे पहले भी इंदरगढ नगर परिषद, दतिया नगर पालिका व डबरा नगर पालिका अध्यक्ष पद के आरक्षण में रोटेशन पद्धति का पालन नहीं होने पर रोक लगाई जा चुकी है। अब इस ग्वालियर हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राजनैतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।