उपचुनाव: ‘महाराज’ को मात देने कांग्रेस ने इस दिग्गज को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

ग्वालियर। कोरोना महामारी (Corona epidemic) के बीच कांग्रेस (congress) ने उप चुनावों (by election) की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस का मुख्य फोकस ग्वालियर चंबल (Gwalior Chambal) की 16 सीटों पर है जिसके लिए उसने एक नई रणनीति के तहत प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह (State Vice President Ashok Singh) को ग्वालियर ग्रामीण का अध्यक्ष (Chairman of Gwalior Rural) बनाया है। इस अतिरिक्त जिम्मेदारी के तहत अशोक सिंह को ग्वालियर जिले की डबरा और शिवपुरी जिले की पोहरी और करैरा विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

शनिवार की रात सोशल मीडिया पर एक खबर बहुत तेजी से वायरल हुई जिसमें बताया गया कि अपैक्स बैंक के पूर्व चेयरमैन, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह को ग्वालियर ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है। पोस्ट वायरल होने के बाद बहस छिड़ गई कि प्रदेश के नेता जो जिले की कमान वो भी आधे जिले की कमान, ये प्रमोशन है या डिमोशन। लेकिन देर रात होते होते स्पष्ट हुआ कि प्रदेश उपाध्यक्ष रहते हुए अशोक सिंह को ग्वालियर ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है।

दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ग्वालियर ग्रामीण के अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर ने इस्तीफा दे दिया था तब से ही ये पद खाली था। इस पद के लिए कांग्रेस ऐसा नेता तलाश रही थी जिसका इस क्षेत्र में अच्छा प्रभाव हो। चूंकि सिंधिया का गढ़ होने के कारण यहाँ ऐसा नेता तलाश रही थी जो सिंधिया खेमे में नहीं रहा हो। बहुत मशक्कत के बाद कांग्रेस के सामने केवल एक नाम आया जो सिंधिया खेमे के धुर विरोधी रहे हैं। जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने इस पद पर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह की नियुक्ति कर दी। सूत्रों की माने तो कमलनाथ ने फोन कर अशोक सिंह को स्वयं इस निर्णय की जानकारी दी। गौरतलब है कि अशोक सिंह की नियुक्ति उप चुनावों तक की गई है और उन्हें ग्वालियर जिले की डबरा के अलावा शिवपुरी जिले की पोहरी एवं करैरा विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

ग्रामीण क्षेत्र में अशोक सिंह का है प्रभाव, कभी चुनाव नहीं हारे

दरअसल प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ये नियुक्ति बहुत सोच समझ कर की है और एक तीर से कई निशाने किये हैं। डबरा, करैरा और पोहरी ग्वालियर संसदीय सीट वाली विधानसभा हैं और अशोक सिंह चार बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले अशोक सिंह का इन तीनों ही विधानसभाओं में अच्छा प्रभाव है। वे ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव तो नहीं जीते लेकिन चारों चुनावों में इन तीनों विधानसभा में कभी नहीं हारे।
इसीलिए कांग्रेस ने ये दांव खेला है। कांग्रेस के नेता जानते हैं कि अशोक सिंह ही हैं जो सिंधिया के गढ़ में कांग्रेस को जीत दिला सकते हैं।

इमरती की चुनौती का देना है जवाब

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जो 22 विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए हैं उनमें 15 ग्वालियर चंबल संभाग के हैं। इनमें अशोक सिंह को जिन तीन विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी गई है ग्वालियर जिले की डबरा सुरक्षित सीट है जहाँ से इमरती देवी लगातार तीन बार की विधायक रही हैं। पिछले दिनों उन्होंने कमलनाथ सरकार में अपने साथ मंत्री रहे ग्वालियर जिले की भितरवार विधानसभा से विधायक लाखन सिंह को चुनाव जीतने की खुली चुनौती दी थी कांग्रेस इस चुनौती का भी जवाब देना चाहती है और अपनी सीट को बरकरार रखना चाहती है। इसके अलावा शिवपुरी जिले की करैरा सीट से विधायक रहे जसवंत सिंह और पोहरी से विधायक रहे सुरेश धाकड़ भी सिंधिया के साथ चले गए हैं। ये दोनों सीटें सिंधिया के प्रभाव वाली सीटें हैं जिसे कांग्रेस अपने पास से नहीं जाने देना चाहती। बहरहाल कांग्रेस ने सिंधिया को घेरने के लिए ये नई रणनीति बनाई है अब देखना ये होगा कि ये रणनीति कितनी कारगर साबित होती है।


About Author
न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

Other Latest News