महाकाल मंदिर परिसर में निकली हजार साल पुरानी दीवार का अवलोकन करने पहुंची केंद्रीय टीम

Gaurav Sharma
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उज्जैन,डेस्क रिपोर्ट। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन (ujjain) के महाकाल मंदिर परिसर (Mahakaleshwar Temple Premises) में एक और हजार साल पुराने मंदिर की दीवार मिलने पर उसका अवलोकन (Overview) करने पुरातत्व विभाग (Archeology department) के केंद्रीय टीम बुधवार को उज्जैन पहुंची। महाकाल मंदिर के पास स्मार्ट सिटी (Smart City) का काम चल रहा था जिस की खुदाई के दौरान दीवार निकली है। बताया जा रहा है कि ये दीवार किसी मंदिर का अवशेष है, जो कि हजार साल पुराना है।

महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) के आसपास स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विस्तारीकरण (Expansion) का काम चल रहा है। वही खुदाई में 1000 साल पुरानी दीवार मिलने के बाद खुदाई का काम रोक दिया गया, जिसकी सूचना उज्जैन पुरातत्व विभाग और आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को तत्काल दी गई, जिसके बाद बुधवार को भोपाल से 3 सदस्य दल उज्जैन पहुंचा।

उज्जैन पहुंची केंद्रीय दल में भोपाल के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंडल के अधीक्षण पुरात्तवविद डॉक्टर पीयूष भट्ट और खजुराहो पुरातत्व संग्रहालय के प्रभारी केके वर्मा भी शामिल थे। केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल के द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद यह टीम उज्जैन पहुंची है।

वहीं इस पूरे वाक्य को लेकर डॉक्टर पीयूष भट्ट ने बताया कि खुदाई के दौरान जो हजार साल पुरानी दीवार निकली है वह किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष प्रतीत हो रहा है। यह दीवार संभवत 10वीं या 11 वीं शताब्दी की है। खुदाई में मंदिर का पाट भी नजर आ रहा है। फिलहाल खुदाई का काम अभी बंद है। वहीं डॉक्टर पीयूष भट्ट ने बताया कि प्रशासन से आग्रह किया गया है कि खुदाई सावधानी से की जाए।

बता दें कि पिछले साल से उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का विस्तारीकरण किया जा रहा है, जिसमें सर्व सुविधा के साथ पार्किंग, शौचालय, महाकाल मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार और अन्य जगहों का सौन्दर्यकरण किया जा रहा है। वही सुविधा युक्त कॉम्प्लेक्स सहित अन्य निर्माण भी किए जाने हैं।

महाकाल मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर 25 फीट खुदाई करने के बाद यह प्राचीन दीवार निकली है, जिसे हजार साल पुरानी किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष बताया जा रहा है। महाकाल मंदिर समिति द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह विकास कार्य करवाया जा रहा है जिसमें करीब 23 करोड़ का खर्च आएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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