इंदौर। आकाश धोलपुरे।
कोरोना संकट काल ने एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है जिस पर इन दिनों अलग अलग राजनीतिक दलों के नेता जमकर बयानबाजी कर एक दूसरे पर सवाल उठा रहे है। दरअसल, इस बहस की शुरुआत कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने की है जिन्होंने एक ट्वीट कर सरकार से देश के धार्मिक ट्रस्टों में रखी सोने की सभी बेकार वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया है। चव्हाण ने ट्वीट में लिखा है कि सरकार को देश के सभी धार्मिक ट्रस्टों में रखे सभी सोने का तुरंत इस्तेमाल करना चाहिए। फिर क्या था इंदौर में तो बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पृथ्वीराज चव्हाण और कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी तक को घेर डाला और सोनिया गांधी पर तंज कस कहा कि चर्च की पैरवी करने वाली सोनिया जी चर्च और मस्जिदों के ट्रस्ट खुलवाने की बात करे।
यहां तक तो सब ठीक है कि देश के दो प्रमुख दल बहस का हिस्सा है लेकिन अब अलग अलग धार्मिक ट्रस्ट मामले पर छिड़ी बहस में षटदर्शन संत समिति मध्यप्रदेश के अध्यक्ष कंप्यूटर बाबा ने तो राजनेताओं पर ही सवाल खड़े कर दिए है। उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के नाम पे कुछ तथाकथित जनसेवक (राजनेता) मठ मंदिरों के खजाने पर आँख गड़ाये बैठे है ऐसे में मैं सरकार से माँग करता हूँ कि सर्वप्रथम मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री इत्यादि नेताओं की घोषित अघोषित सम्पत्ति को राजसात किया जाए इसके पश्चात भी अर्थ की कमी रहती है तो मठ मंदिर सदैव राष्ट्रसेवा में आगे रहें है और इस बार भी ऐसा ही होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है न केवल मंदिर अपितु गुरुद्वारे, चर्च, मस्जिद इत्यादि भी देश को अपना सारा धन समर्पित कर देंगे। महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा ने पूर्व मंत्रियों सांसदों को मिल रही पेंशन को भी रोकने की मांग कर डाली और कहा कि राजनेता खुद को जनता सेवक बताते है तो अब समय आ गया है कि विषम परिस्थिति में जनता के सेवा करे।
हालांकि ये बात एक लिहाज से ठीक भी है क्योंकि नेता हमेशा चुनाव के पहले तन – मन – धन से जनता की सेवा करने का दावा करते है और अब वाकई अब जरूरत है देश को उनकी सेवा भावना की। लिहाजा, उनको भी तन – मन- धन से मानव सेवा में पूरी तरह से जुट जाना चाहिए न कि दलगत राजनीति पर बयानों के शोर को गुंजाना चाहिए। इधर, कंप्यूटर बाबा ने धार्मिक ट्रस्टों की अनुमति बयान के पहले ली है या नही, इस पर भी अभी सवाल बने हुए है। फिलहाल, कोरोनाकाल ने आम आदमी का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। जिसको संवारने के लिए जरूरी है ठोस कदम उठाकर उस पर अमल करने की।