ग्वालियर, अतुल सक्सेना| उपचुनावों (Byelection) की बढ़ती गर्मी के बीच अब नेताओं के भाषणों में भी गर्मी आ गई है और इन्ही भाषणों में वे एक दूसरे पर हमला करने के लिये मुद्दे खोज रहे हैं। ताजा मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj SIngh Chauhan) द्वारा कमलनाथ सरकार गिराने की स्वीकारोक्ति से जुड़ा है। कांग्रेस (Congress) ने इसे गंभीर मामला बताते हुए अक्षम्य राजनैतिक अपराध बताया है। कांग्रेस ने मांग की है कि मुख्यमंत्री ये भी खुलासा करें कि उन्हें सरकार गिराने के लिए किसके इशारे पर करोड़ों रुपये मिले। अब शिवराज का नार्को टेस्ट (Narco Test) होना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता एवं ग्वालियर-चम्बल संभाग के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर निशाना साधते हुए बड़ा जुबानी हमला किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गुरुवार को ग्वालियर-चंबल अंचल के दिमनी, जौरा, मेहगांव और गोहद विधानसभा उपचुनाव की चुनावी सभाओं में कांग्रेस के पूर्व विधायक और वर्तमान भाजपा प्रत्याशी गिर्राज डंडोतिया और रणवीर जाटव का नाम लेकर सार्वजनिक रूप से कमलनाथ सरकार को गिराने की कही गई उस स्वीकारोक्ति को एक गंभीर मामला बताया है जिसमें उन्होंने कहा है कि गिर्राज डंडोतिया को मैंने यह कहा था कि कहां फंसे हो यार, साथ आओ सरकार गिरा दो और गोहद के भाजपा प्रत्याशी रणवीर जाटव ने उनसे कहा था कि मुझे सरकार गिराना है, यह सरकार चलना नहीं चाहिये।
सीएम शिवराज का हो नार्को टेस्ट
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जनादेश के माध्यम से चुनी गई किसी भी सरकार को भ्रष्टाचार के माध्यम से गिरा देना एक अक्षम्य राजनैतिक अपराध है।मुख्यमंत्री की स्वीकारोक्ति के बाद अब उनका नार्को टेस्ट करवाना चाहिये ताकि प्रदेश सरकार गिराने की सच्चाई सामने आ सके। मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री यदि धीरे-धीरे कमलनाथ सरकार को गिराने की सच्चाई उगल ही रहे है तो उन्हें अब उस सच्चाई को भी उजागर कर देना चाहिये कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में सरकार गिराने के लिए स्थानीय नेतृत्व को 1250 करोड़ रुपये उधारी के रूप में किस केंद्रीय मंत्री से किसके निर्देश पर दिलवाये थे, उसमें से 440 करोड़ रुपये नगद बिकाऊओं के किस आका को दिये गये थे और एक एक बिकाऊ को दी गई धनराशि कितने करोड़ रुपयों में थी? यहीं नहीं, मुख्यमंत्री जी यह भी बतायें क्या यह भी झूठ है कि प्रदेश के पांच वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों के माध्यम से कोरोना काल में एकत्र 1500 करोड़ रुपयों की राशि में से 1250 करोड़ रुपयों के कर्ज की अदायगी उक्त मंत्री महोदय को कर दी गई है।
ये एक अक्षम्य राजनैतिक अपराध है
मिश्रा ने यह भी कहा कि अपने उक्त बयान के पूर्व मुख्यमंत्री ने कभी यह कहा था कि कमलनाथ सरकार खुद अपने कर्मो से गिरी है बाद में इन्दौर की एक चुनावी सभा में उन्होंने यह सार्वजनिक तौर पर कहा कि यदि तुलसी सिलावट नहीं होते तो मैं मुख्यमंत्री नहीं बन सकता था,अब चुनावी सभाओं में सरकार गिराने की उनकी इस स्वीकारोक्ति ने अपने अक्षम्य राजनैतिक अपराध को सुस्पष्ट कर दिया है। लिहाजा, अब उनके साथ क्या सलूक होना चाहिये? 03 नवंबर को वोटों के आधार पर सरकार चुनने वाली जागरूक जनता नोटों के माध्यम से उनके प्रतिनिधियों के बिक जाने का जवाब ले लेगी। मिश्रा ने पुनः अपनी इस बात को दोहराया है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का इस गंभीर स्वीकारोक्ति के बाद नार्को टेस्ट होना चाहिये ताकि इससे जुडी अहम जानकारियां भी सार्वजनिक हो सकें।