कांग्रेस का शिवराज पर तंज, “ऐसा असहाय, मजबूर मुख्यमंत्री पहले कभी नहीं देखा” 

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने आज अपने मंत्रिमंडल  का विस्तार (Cabinet Expansion) कर लिया। रविवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने (Governor Anandi Ben Patel) सिंधिया समर्थक विधायक तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silavat) और गोविन्द सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) को मंत्री पद की शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल विस्तार पर कांग्रेस (Congress) ने तत्काल अपनी प्रतिक्रिया दी है। और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को असहाय और मजबूर मुख्यमंत्री बताया है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने मीडिया  में अपना बयान जारी कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है।  सलूजा ने शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल के पुनर्गठन पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज का मंत्रिमंडल का पुनर्गठन देखकर यह स्पष्ट हो गया है कि मध्य प्रदेश में एक मजबूत नहीं, बल्कि असहाय और मजबूर मुख्यमंत्री कुर्सी पर बैठे हैं , भाजपा की इतनी दयनीय स्थिति पहले कभी नहीं देखी।  ऐसा लग रहा है कि आज भाजपा कुछ जयचंदों  व आयातित लोगों की पार्टी होकर उनके सामने गिरवी पड़ी है।

कांग्रेस नेता  सलूजा ने कहा कि जब मंत्रिमंडल में 6 पद खाली हैं तब मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करना और उसमें भी सिंधिया समर्थक सिर्फ़ दो ही मंत्रियों को शामिल करना यह बता रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री व भाजपा भारी दबाव में है,असहाय हैं। भाजपा के कई योग्य विधायक, मंत्री बनने की कतार में थे लेकिन उनका हक मार कर दो आयातित लोगों को ही शामिल करने से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा में अब ईमानदार, निष्ठावान, योग्य और टिकाऊ लोगों के लिए कोई स्थान नहीं बचा है।  आज  मंत्रिमंडल के गठन में राजेंद्र शुक्ल, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन, संजय पाठक, यशपाल सिसोदिया, नागेंद्र सिंह, गिरीश गौतम, पारस जैन, गायत्री राजे पवार, रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया जैसे वरिष्ठ विधायकों को शामिल नहीं कर भाजपा ने यह बता दिया है कि उसे सिर्फ सत्ता से मतलब है और सत्ता के लिए भाजपा को आज जयचंदों  के यहाँ गिरवी रख दिया गया है। उन्होंने कहा कि  नहीं चाह कर भी ऊपरी दबाव में आखिर सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों को मंत्री बनाना ही पड़ा? इससे यह स्पष्ट हो चला है प्रदेश का नेतृत्व मजबूर होकर असहाय वाली स्थिति में है और निर्णय लेने में अक्षम साबित हुआ है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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