भोपाल।
विश्व भर में फैला कोरोना संक्रमण अब एक ऐसा संगठन बन गया है जिसके लिए ना कोई धारणा काम अा रही है। ना ही कोई दवा। संक्रमण को लेकर जितने भी दावे किए गए अब तक सारे दावे एक-एक कर गलत साबित हुए है। मैं लोगों की एक ऐसे भी धारणा थी कि एक बार संक्रमण से ठीक हो जाने वाले दोबारा इसके संक्रमण में नहीं आएंगे जबकि ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि करोड़ों का संक्रमण दोबारा भी हो सकता है। जिसको लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट तैयार की गई है। जो चौंकाने वाला है। रिपोर्ट में जो खुलासे हुए हैं उसके अनुसार हाल ही में भोपाल में एक दर्जन से ज्यादा लोग ठीक होने के 1 महीने के अंदर दोबारा संक्रमित हुए हैं। वही एक की मौत भी हो चुकी है।
दरअसल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला है कि भोपाल में 1 महीने के अंदर एक दर्जन से ज्यादा स्वस्थ हुए लोग दुबारा संक्रमण की चपेट में आए हैं। दोबारा संक्रमण की चपेट में आने वाले में एक डॉक्टर सहित एक नर्स भी शामिल है। इसको लेकर एक बात यह भी सामने आई है कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से जो गाइडलाइन जारी की गई थी उसमें बदलाव करने के बाद आपको रोना मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने से पहले उसके सैंपल की जांच का प्रावधान हटा दिया गया है। जैसे कोरोना संक्रमित को अस्पताल से डिस्चार्ज करने से पहले उसकी जांच नहीं होती है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि जस्ट से पहले जांच ना होने की वजह से पता नहीं चल रहा था कि शरीर में कोरोना का वायरस खत्म हुआ या नहीं। वहीं भोपाल में जिन 12 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है।
हालांकि अब तक दुनिया के 6 बेहतरीन लैब में इस संबंध में जो अध्ययन सामने आए हैं उसे यह पता चलता है कि दोबारा पॉजिटिव होने वाले व्यक्ति दूसरे को संक्रमित नहीं कर सकते है। जिसे यह वायरस अन्य लोगों के शरीर में नहीं फैलता है। लेकिन ऐसे लोगों की स्थिति बिगड़ सकती है इस वजह से उन्हें खुद को सबसे अलग रखना चाहिए। इसी मामले में एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ सरवन सिंह का कहना है कि दोबारा संक्रमित हुए व्यक्ति के शरीर में वायरस नहीं दरअसल वायरस के कुछ अंश होते हैं जो शरीर के किसी हिस्से में रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को मुंह से सांस लेने की बजाय नाक से सांस लेना चाहिए ताकि उसके अंदर दोबारा लक्षण ना बढ़े।