दरअसल गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) से इस महीने 15 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक एक सैंपल में वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट मिलने की खबर सामने आई है। राजधानी भोपाल के बाड़खेड़ा पठानी में 65 साल की एक महिला में ये नया वेरिएंट मिला है। मध्यप्रदेश में एंट्री के साथ ही स्वास्थ्य विभाग सचेत हो गया है।
लगातार हो रही टेस्टिंग से पता चला
भोपाल में मिले कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग (kailash sarang) ने कहा कि हमारे यहां के जो सैंपल गए थे उसमें एनसीडीसी को एक सैंपल में से कोरोनावायरस का नया वेरिएंट मिला है, जिसकी हम आगे स्टडी करवा रहे हैं। मध्यप्रदेश में कोरोना की रोकथाम और उसकी चेन को तोड़ने के लिए स्टडी करवा रहे हैं। सारंग ने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस के केसों में कमी आने के बावजूद भी टेस्टिंग में किसी प्रकार की कमी नहीं की गई है। लगातार टेस्टिंग के कारण नए वेरिएंट्स का पता जल्द चल जाता है।
महिला है कोरोना वैक्सिनेटेड
सारंग ने बताया कि टेस्ट करवाने के बाद सैम्पल्स को एनएसडीसी और हायर रिसर्च इंस्टीट्यूट में भेज कर उसके जेनेटिक और वैरीअंट के बारे में पता करने का काम सरकार कर रही है। इसी का परिणाम है कि हमें भोपाल के बरखेड़ा पठानी में एक महिला की टेस्टिंग में नए वेरिएंट का पता लगा है। एनएसडीसी ने इस बात की सूचना दी है। उन्होंने बताया कि महिला का इलाज चल रहा है। महिला कोरोना वैक्सिनेटेड है और उनकी तबीयत अभी ठीक है। महिला की कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है।
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इस मामले में AIIMS भोपाल के निदेशक डेल्टा प्लस वेरिएंट के देश में भी बहुत कम मामले सामने आए हैं। लेकिन यह वेरिएंट काफी खतरनाक है। इस वेरिएंट से संक्रमण का फैलाव बहुत तेजी से होता है वही मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (monoclonal antibody) से भी इस वेरिएंट पर कोई असर नहीं होता। वहीं उन्होंने उम्मीद जताई है कि वैक्सीन (vaccine) का भी असर मुमकिन है कि इस वेरिएंट पर बहुत कम ही हो। वहीं उन्होंने इस वैरिएंट को भयावह बताया है।
बता दे कि कोरोना के बदलते नए स्वरूप Delta Plus के अभी विश्व भर में 150 मामले हैं। वही देश भर में 6 मामले सामने आए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि Delta Plus ज्यादा संक्रामक और घातक है। वही अभी इस पर जांच की जा रही है। देशभर में Delta Plus के मरीज तमिलनाडु सहित दक्षिणी राज्य से सामने आए हैं। वही वैज्ञानिकों का यह भी मानना है की कॉकटेल इंजेक्शन (cocktail injection) से कोरोना के इस वैरिएंट का इलाज संभव हो सकता है।