Dabra News : यह कैसी जनसुनवाई? समस्याओं का निराकरण न होने पर निराश लौट रहे लोग

Amit Sengar
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Dabra Public Hearing News : प्रदेश में प्रत्येक मंगलवार को शासकीय कार्यालयों में जनसुनवाई की जाती है, जिसमें अपनी समस्यों के निराकरण की आस लगाकर ग्रामीण अंचलों से कई गरीब तबके व बुजुर्ग लोग आते है, लेकिन जब उनकी समस्या का निराकरण नहीं होता, तो वह निराश होकर अपने घरों की ओर वापस लौट जाते है। ऐसा ही मामला ग्वालियर जिले की डबरा तहसील से आ रहा है जहाँ एक युवक अपने प्लॉट पर कुछ दबंगों का कब्जा होने की शिकायत लेकर आया। मगर वह जनसुनवाई से निराश होकर वापस घर चला गया।

यह है मामला

बता दें कि डबरा में वार्ड क्रमांक 12 जगदंबा कॉलोनी निवासी राजेश सिंह राठौर उम्र लगभग 40 वर्ष अपनी समस्या को लेकर जनसुनवाई में पहुंचा लेकिन समस्या सुने बिना ही वापस घर लौटना पड़ा। राजेश राठौर ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके द्वारा एक महिला अनीता वाल्मीकि पति फूल सिंह वाल्मीकि को 338 वर्ग फीट का प्लॉट लगभग 1 साल पहले बेचा था उसने वह प्लाट 676 वर्ग फीट में से बेचा था लेकिन पिछले एक डेढ़ महीने से अनीता वाल्मीकि पति फूल सिंह वाल्मीकि ने अन्य लोगों के साथ मिलकर पूरे 676 वर्ग फीट के प्लॉट पर कब्जा कर लिया जिसकी शिकायत लेकर वह है डबरा जनसुनवाई में लगभग 1 बजे पहुंचे लेकिन जनसुनवाई में समय हो जाने के कारण उन्हें अधिकारियों से नहीं मिलने दिया गया जिससे वह निराश होकर वापस लौट गए।

Dabra News : यह कैसी जनसुनवाई? समस्याओं का निराकरण न होने पर निराश लौट रहे लोग

अब तक नहीं हुआ कोई समाधान

राजेश राठौर ने कहा कि इस समस्या को लेकर वह डबरा सिटी थाने भी गए लेकिन थाना प्रभारी का कहना था कि तहसीलदार साहब के आदेश होने के बाद वह कार्रवाई करेंगे इस मामले को लेकर कई बार मेरे द्वारा ग्वालियर एसपी कार्यालय, और डबरा जनसुनवाई में तहसीलदार को भी अवगत कराया गया लेकिन अब तक उनकी समस्या का कोई समाधान संबंधित अधिकारियों द्वारा नहीं निकाला गया।

Dabra News : यह कैसी जनसुनवाई? समस्याओं का निराकरण न होने पर निराश लौट रहे लोग

गौरतलब है कि जनसुनवाई लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए और उनका निराकरण करने के लिए लगाई जाती है लेकिन जब ऐसी जगह से भी लोग मायूस होकर लौट जाएं तो जनता की कौन सुनेगा आखिरकार शासन प्रशासन इन समस्याओं पर क्यों ध्यान नहीं देता।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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