भोपाल।
प्रदेश में फैली महामारी(pandemic) और लॉकडॉउन(lockdown) के बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएम चौहान(CM chouhan) को पत्र लिख किसानों के लिए कुछ मांगे की है। राज्यसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने कहा है कि किसानों को 20 हजार क्विंटल(quintal) के उत्पादक क्षेत्र के लिए अलग से विपणन केंद्र बनाया जाए। वहीं गेहूं खरीदी की राशि से सहकारिता के कर्ज को सेटलमेंट नहीं किया जाना चाहिए। वहीं सभी खरीदी केंद्रों पर न्यूनतम 4 से 5 कांटों की व्यवस्था की जाए। किसानों से क्रय की गई फसल का भुगतान किसानों को 3 से 5 दिन में कर दिया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने पत्र में लिखा है कि यह सर्वविदित है कि महामारी के कारण संपूर्ण देश की अर्थव्यवस्था(economy) पर अत्यंत विपरीत असर पड़ रहा है किंतु प्रदेश के संदर्भ में काफी बातें चिंताजनक है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है के मध्य प्रदेश(madhya pradesh) में लगभग पौने तीन करोड़ लोग खेती खेती से जुड़े हुए कार्य में सलंग्न है और उसी से अपना तथा परिवार का भरण पोषण करते हैं। इसी बीच जहां एक और लॉकडॉउन के कारण फसलों का विक्रय नहीं हो पा रहा है वहीं दूसरी और व्यापारी गतिविधियां रुक जाने के कारण फसलों के मूल्य में बेतहाशा गिरावट आई है। इसको लेकर किसानों ने कुछ सुझाव दिए हैं जो मैं आपके समक्ष रख रहा हूं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि गेहूं खरीदी की राशि से सहकारिता के कर्ज को सेटलमेंट(settlement) नहीं किया जाना चाहिए और किसानों के खाते में पूरी राशि हस्तांतरित की जानी चाहिए। वहीं 20000 क्विंटल के उत्पादक क्षेत्र के लिए अलग से विपणन केंद्र बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही वेयरहाउस पर बड़े तोल कांटों पर तुलाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीदी के लिए किसानों को आमंत्रित संख्या के बजाय सेंटर की खरीदी क्षमता अनुसार एसएमएस के माध्यम से सूचना देकर दिन में दो बार बुलाया जाना चाहिए। वहीं सभी खरीदी केंद्र पर न्यूनतम 4 से 5 कांटों की व्यवस्था की जाए। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि जिला स्तर पर खरीदी हेतु टास्क फोर्स(task force) बनाया जाए ताकि खरीदी केंद्र में सुधार खरीदी व्यवस्था, बारदान, ट्रांसपोर्ट, हम्माल और ऑनलाइन त्रुटियों को सुधारा जा सके। वहीं गेहूं के पंजीयन हेतु 8 दिन के लिए पोर्टल शुरू किया जाए। इसी बीच ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती भी हो रही है जिसके लिए पंजीयन शुरू किया जाना चाहिए और उत्पादन के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराया जाना चाहिए। वहीं दुग्ध उत्पादक को हो रहे नुकसान पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। वही अफीम उत्पादक किसानों की अफीम की खरीदी शीघ्र की जाए क्योंकि तापमान में इसकी गुणवत्ता में गिरावट आती है वहीं इसकी चोरी के साथ अपराध बढ़ने की आशंका में वृद्धि होती है। इसी के साथ फूल उत्पादक किसानों को 100% नुकसान हुआ है जिसके लिए उन्हें सहायता राशि प्रदान की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(cm shivraj singh chouhan) को पत्र लिखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह(former cm digvijay singh) ने कहा कि आगामी खरीफ की बुवाई हेतु कपास मिर्ची मक्का आदि के दानों की व्यवस्था उचित दाम पर की जाए एवं कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। इसी के साथ व्यापारियों को गांव से सीधे खरीदी की अनुमति दी गई है, इसलिए सरकार किसानों को मूल्य एवं पूरा भुगतान की गारंटी प्रदान करें। सब्जी तरबूज और नदी किनारे छोटे-छोटे बगिया लगाने वाले किसान को बाजार बंद होने की वजह से काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है जिसके लिए उनके उत्पादकों को राहत दी जानी चाहिए। वही प्रदेश में प्याज में बड़े स्तर पर उत्पादन हुआ है और बाजार भाव लागत से नीचे इसलिए किसानों के प्याज का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किए जाए। इसी के साथ खेतों में बिजली व्यवस्था हेतु जले हुए ट्रांसफार्मर को तुरंत बदलने की व्यवस्था की जाए ताकि आगामी फसल की तैयारी की जा सके। वहीं यदि एक किसान के चार खाते हैं तो उन्हीं की एक साथ धुलाई की जाए ताकि उन्हें बार-बार ट्रांसपोर्ट का अतिरिक्त खर्चा वहन ना करना पड़े। प्रदेश में संतरा और केला किसानों को लॉक डाउन के कारण बड़ा नुकसान हुआ है। जिसके लिए किसानों के केले के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से तय किए जाने चाहिए। इसी के साथ मध्य प्रदेश में पान के किसानों को लॉकडॉउन के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है मध्यप्रदेश में पश्चिम बंगाल उत्पादक राज्यों से तूफान आ रहे हैं लेकिन राज्य के पान उत्पादकों के उत्पाद को खरीदने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसलिए पान की खेती करने वाले किसानों को उनके हुए नुकसान के अनुपात में मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसी के साथ मुख्यमंत्री चौहान से अनुरोध करते हुए कहा है कि मौजूदा हालत में बुरी तरह फंस चुके प्रदेश के अन्नदाता किसानों से जुड़े इन समस्याओं एवं सुझावों पर ध्यान देकर तत्काल कार्यवाही करें। जिससे कि प्रदेश के किसानों में व्याप्त भारी निराशा से उन्हें उबारा जा सके।