इन कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, अब मिलेगा प्रमोशन का लाभ, दिए ये आदेश

कार्मिक विभाग के मार्च 2023 की अधिसूचना के आधार पर दो से ज्यादा संतान वाले कर्मचारियों को संबंधित सालों से पदोन्नत करने के मामले में रोक लगाने के आदेश को संशोधन किया है।

Pooja Khodani
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Rajasthan HC Employees promotion case: राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। जयपुर हाईकोर्ट ने प्रमोशन के मामले में अहम फैसला सुनाया है, इसके तहत अब 2 से ज्यादा बच्चों वाले कर्मचारियों को भी प्रमोशन का लाभ मिलेगा। हाईकोर्ट ने बैक डेट से पदोन्नति देने के आदेश से रोक हटा दी है।

दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा बच्चों वाले राज्य कर्मचारियों को प्रमोशन देने पर लगी रोक को हटा दिया है। सोमवार को हाईकोर्ट के सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने राज्य सरकार के स्टे प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए कार्मिक विभाग के मार्च 2023 की अधिसूचना के आधार पर दो से ज्यादा संतान वाले कर्मचारियों को संबंधित सालों से पदोन्नत करने के मामले में रोक लगाने के आदेश को संशोधन किया है।इसके साथ ही पदोन्नति पर लगी रोक को हटाते हुए होने वाली पदोन्नतियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखा है।

जानिए क्या है पूरा मामला

  • दरअसल,राजस्थान कार्मिक विभाग ने मार्च 2023 को अधिसूचना जारी कर दो से ज्यादा संतान वाले कर्मचारियों को संबंधित सालों से पदोन्नत करने का प्रावधान किया था, लेकिन इसके खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने गत अगस्त माह में अंतरिम आदेश जारी कर पदोन्नतियों पर रोक लगा दी थी, जबकि अंतरिम आदेश के जरिए पूरी पदोन्नति प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता और इससे याचिकाकर्ता को पूर्व में दी गई पदोन्नति प्रभावित नहीं हो रही है, ऐसे में पूर्व में दिए आदेश को वापस लिया जाए।
  • याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने एक जून 2002 या इसके बाद दो से ज्यादा संतान वाले सरकारी कर्मचारियों को तीन व पांच अवसरों तक पदोन्नति से वंचित रख रखा था । पिछली तारीखों से किसी भी कर्मचारी की योग्यता के संबंध में अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती, इस अधिसूचना के जरिए वो कर्मचारी पदोन्नत होंगे, जिन्हें पहले अयोग्य माना जा चुका है।
  • कार्मिक विभाग ने कहा कि किसी भी कर्मचारी को केवल ज्यादा संतान होने के चलते पदोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकता, ऐसे में जिन कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित किया है, उन्हें उनके पदोन्नति वर्ष से ही इसका लाभ दिया जाएगा।इस पर खंडपीठ ने पूर्व में दिए आदेश को संशोधित करते हुए पदोन्नतियों पर लगी रोक को हटाते हुए उसे याचिका के निर्णयाधीन रखने के आदेश दिए है।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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