भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पिछले साल बड़ी मात्रा में तिवड़ा मिश्रित खरीदी के बाद इस बार शिवराज सरकार (shivraj government) सतर्क हो गई है। इतना ही नहीं किसानों (farmers) को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) पर चना (gram) उपलब्ध हो सके। वहीं सरकार को तिवडे की खरीदी ना करनी पड़े। इसके लिए सरकार नियम और तोड़ निकालने में लगी है। साथ ही किसानों को तिवड़ा के पौधे उखाड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
दरअसल कृषि मंत्री कमल पटेल (kamal Patel) ने विधायकों (MLAs) को पत्र लिखकर अपने अपने क्षेत्रों में किसानों को तिवडे के पौधे उखाड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की अपील की है। बता दें कि प्रदेश में पहली बार गेहूं के साथ चना की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी। 15 मार्च से शुरू होने वाली इस खरीदी में चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5100 प्रति क्विंटल रखा गया है।
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हालांकि पिछली बार चना के साथ साथ ही तिबड़ा ने सरकार की परेशानियां बढ़ा दी थी। जिसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh tomar) द्वारा 2% तिवड़ा मिश्रित चना लेने की विशेष अनुमति प्रदान की गई थी। इसके लिए कृषि मंत्री ने सभी क्षेत्रों के विधायकों से अपील की है। इसके साथ ही तिवड़ा मिश्रित चने की बाधाओं को पार करने के लिए सरकार बोवनी के समय ही सतर्कता बरत रही है। इसके लिए 8 जिले में 68,766 क्विंटल तिवड़ा मुक्त बीज भी किसानों को उपलब्ध कराया गया है।
इस मामले में प्रमुख कृषि सचिव अजीज केसरी का कहना है कि किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वह चना के साथ उपजने वाली तिवड़ा को अभी उखाड़ ले। जिसे उन्हें अपनी फसल की उचित मूल्य मिल सके। इसके साथ ही तिवड़ा को खरपतवार मानकर उखड़वा देना ही समस्या का समाधान है। कृषि सचिव ने कहा कि 2% से ज्यादा तिवड़ा मिश्रित चना खाने योग्य नहीं माना जाता और ना इसका उपार्जन मान्य किया जाता है। बता दें कि मध्य प्रदेश के विदिशा, रायसेन, सागर, दमोह, छतरपुर, जबलपुर, नरसिंहपुर और पन्ना जिले से तिवड़ा मिश्रित चना की समस्या सामने आती है।